‘उठ जाग मुसाफिर’ में दिखी अन्याय के विरुद्ध नई चेतना

उल्लास बाल पर्व रंगमंच, रचनात्मकता और चेतना का 31वां उत्सव

लखनऊ। गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों की कल्पनाशक्ति, अभिव्यक्ति और सामाजिक समझ को मंच देने के उद्देश्य से यायावर रंगमंडल द्वारा आयोजित “उल्लास बाल पर्व का 31वां संस्करण इस वर्ष लखनऊ के प्रतिष्ठित संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में हुआ। लखनऊ में आयोजित 40 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला के दौरान, बच्चों ने पुनीत मित्तल के निर्देशन और जितेन्द्र मित्तल की लेखनी में तैयार नाटक उठ जाग मुसाफिर का अत्यंत प्रभावशाली मंचन प्रस्तुत किया।
नाटक की कथा एक ऐसे जमींदार के इर्द-गिर्द घूमती है जो गाँव के भोले-भाले लोगों से अमानवीय शर्तों पर काम करवाता है जिसमें सबसे कठोर शर्त यह है कि यदि कोई नौकर स्वेच्छा से नौकरी छोड़ता है, तो उसे अपने नाक-कान कटवाने पड़ते हैं। जब गांववाले जमींदार के अत्याचारों से तंग आकर जीवन त्यागने का निर्णय लेते हैं, तब एक संत बाबा जी उन्हें आत्मबल और नई दिशा प्रदान करते हैं।
इसी समय एक नया नौकर अटपट्टू नौकरी पर आता है और अपनी चतुराई से जमींदार को हर बार परास्त करता है। यह प्रस्तुति सामाजिक जागरूकता, करुणा और नेतृत्व का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आई। हिमांशु गुप्ता, नवनीत, सौरीष शर्मा, सृष्टि वाल्मीकि, अनिमेष कुमार, वंश शुक्ला, आयुषी, हर्ष सिंह, हर्ष, अनुज कुमार, प्रियांशु गौतम, आरव राज, अंश कुमार, निपुण सिंह, आँचल गुप्ता, आराध्या मौर्या, आराधिका सिंह, अभिनव भौमिक, वीरा सिंह, सभी बच्चों ने पूरी निष्ठा और जोश के साथ भाग लिया और दर्शकों का दिल जीत लिया।

नाटक ‘मन की बात’
दूसरी प्रस्तुति के रूप में, सेंट पीटर इण्टर कॉलेज, गोमती नगर में आयोजित 40 दिवसीय बाल रंगमंच कार्यशाला के अंतर्गत प्रस्तुत नाटक मन की बात’ में बच्चों ने अपने भावों को बहुत ही सरल और सहज ढंग से दर्शकों तक पहुंचाया। यह नाटक इस संदेश को स्पष्ट रूप से सामने लाता है कि बच्चों को माता-पिता की डांट के साथ-साथ उनका प्यार और थोड़ा सा समय भी चाहिए, ताकि वे अपने मन की बात कह सकें और उनके मन की बात भी सुन सकें। पीयूष कुमार, रजनी, स्तुति, कोमल, ईशानी, ऋषभ, अदिति, आरुष, मानव, शुभ कुमार, रागिनी, डिम्पल, हर्ष और काशवी के अभिनय कौशल और विषय की गहराई ने दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। इस नाटक का निर्देशन सुश्रुत गुप्ता और ओमकार पुष्कर ने किया।

कला प्रदर्शनी
आयोजन का एक विशेष आकर्षण रही कला प्रदर्शनी, जिसमें गुरुग्राम के दो शेल्टर होम्स के बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई। यह प्रदर्शनी परियोजना के अंतर्गत आयोजित की गई, इसकी परिकल्पना एवं निर्देशन श्रीमती शिखा एवं नीरा द्वारा किया गया है। इस पहल का उद्देश्य है-कला के माध्यम से वंचित बच्चों को आत्म अभिव्यक्ति आत्मबल और आंतरिक उपचार की दिशा में प्रेरित करना। बच्चों के कौशल विकास के प्रति जागरूक के. के. अकादमी की प्रधानाचार्या डॉ. लक्ष्मी कौल और सेंट पीटर कॉलेज की प्रधानाचार्या चारु शर्मा का बाल रंगमंच कार्यशाला के आयोजन में विशेष सहयोग एवं योगदान रहा। कार्यक्रम की परिकल्पना मोहम्मद हफीज द्वारा की गई, जिन्होंने बच्चों को रचनात्मक मंच प्रदान करने का स्वप्न साकार किया।

RELATED ARTICLES

जुलाई में पड़ेंगे गुरु पूर्णिमा, नागपंचमी और हरियाली तीज, जैसे व्रत और त्यौहार

महीने का समापन चित्रा नक्षत्र में सावन शुक्ल सप्तमी उपरांत अष्टमी को होगालखनऊ। जुलाई का महीना व्रत त्योहारों के लिहाज से बेहत अहम रहने...

50 प्रतिशत अपराध नशे के कारण होते है: अखिलेश निगम

विश्व मद्यनिषेध दिवस की पूर्व संध्या पर 1090 चौराहे पर गोष्ठी/शिविर का आयोजन लखनऊ। लाल ब्रिगेड व सनातन महासभा के संयुक्त तत्वाधान में विश्व मद्यनिषेध...

रॉक बैंड व पुष्प वर्षा के बीच निकलेगी इस्कॉन मंदिर की रथयात्रा

लखनऊ। सम्पूर्ण विश्व में जिस प्रकार से श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है उसी के क्रम मे श्री...

Latest Articles