लखनऊ/वाराणसी। उत्तर प्रदेश के 23 जिलों के 1200 गांवों की पांच लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है, जहां बचाव और राहत अभियान जारी है। पूर्वांचल में गंगा का जलस्तर बढ़ने से जलप्लावन की स्थिति बनी हुई है। पूर्वांचल के 406 गांवों में बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वाराणसी, बलिया, मिजार्पुर, गाजीपुर, भदोही और चंदौली जिले में गंगा बढ़ाव पर हैं। वाराणसी, गाजीपुर और बलिया के कई गांवों में पानी घुस गया है। वहीं, गंगा घाट भी डूबने लगे हैं। तटीय गांवों का संपर्क टूट गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को वाराणसी पहुंचे और ग्राउंड जीरो पर उतर कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर बाढ़ पीड़ितों को सरकार की ओर से उपलब्ध कराये जा रहे राहत कार्यों का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने राजघाट से एनडीआरएफ के मोटर बोट से पुराना पुल तक दौरा कर गंगा एवं वरुणा के बढ़े जल स्तर को देखा।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टीम-9 के साथ बाढ़ हालात की समीक्षा करते हुए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से संचालित करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने चेताया है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। बाढ़ तथा अतिवृष्टि की स्थिति पर निरंतर नजर रखी जाये तथा नदियों के जलस्तर की सतत मॉनिटरिंग की जाये। बाढ़ पीड़ितों को समय पर राहत सामग्री उपलब्ध कराते हुए उनकी हरसंभव मदद की जाये। सभी प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित आपदा प्रबन्धन की सभी टीमें निरन्तर सक्रिय रहें।
सीएम योगी आदित्यनाथ सरैया क्षेत्र स्थित आलिया गार्डन में बनाए गए राहत केंद्र में शरण लिए बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात कर उनको सरकार द्वारा मिल रही सुविधाओं के बारे में जाना। साथ ही भरोसा दिलाया कि इस आपदा में सरकार उनके साथ खड़ी है। किसी भी बाढ़ प्रभावित को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी । सीएम ने मौके पर अधिकारियों से राहत कार्यों की जानकारी ली और उन्हें निर्देशित किया कि बाढ़ पीड़ितों की मदद में किसी प्रकार की कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जेपी मेहता इंटर कॉलेज राहत केंद्र पर पहुंचे और यहां पर रह रहे 60 से अधिक बाढ़ प्रभावित परिवारों के लोगों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें मिल रहे राहत सुविधाओं बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने लगभग 37 लोगों को राहत सामग्री का पैकेट एवं आलू, प्याज से भरा झोला भी बांटा । राहत सामग्री राशन और सब्जियों की मात्रा अधिक होने पर कई बाढ़ पीड़ित लोग इसे उठा कर ले जाने में असमर्थ दिखे तो मुख्यमंत्री ने उनकी मदद करने के भाव से पूछा कि बहुत वजनी बैग है, माता कैसे जाएगा? बाढ़ पीड़ित के साथ खड़े लड़के ने उनके साथ होने की बात कही और राहत सामग्री ले जाने मदद की बात कही। उन्होंने जेपी मेहता इंटर कॉलेज परिसर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के मवेशियों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 मिनी पोर्टेबल एवं तीन बड़े फागिंग मशीन कर्मियों के ग्रुप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
गौरतलब है कि वाराणसी में गंगा खतरे के लेवल से एक मीटर ऊपर बह रही है। गंगा के पलट प्रवाह के कारण वरुणा में आई बाढ़ भी भयावह होती जा रही है। बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे गंगा का जलस्तर 72.32 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 71.26 से 1.06 मीटर अधिक है। गंगा और वरुणा के पानी से शहर से लेकर गांव तक 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। वहीं प्रयागराज जिले में गंगा और यमुना दोनों ही नदियां खतरे के निशान से सवा मीटर से भी अधिक ऊंचाई से बह रही हैं। दोनों नदियों का खतरे का निशान 84.73 मीटर है। इसके विपरीत सिंचाई विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मंगलवार की रात 10 बजे फाफामऊ में जलस्तर 85.86, छतनाग में 85.07 तथा नैनी में 85.68 मीटर था। वहीं बुधवार की रात 10 बजे फाफामऊ में जलस्तर 86.06, छतनाग में 85.32 तथा नैनी में 85.80 मीटर पहुंच गया। इस दौरान नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव भी जारी रहा।
मऊ जिले में घाघरा के जलस्तर में घटाव के बाद भी लोगों को नदी के कहर बरपाने की चिंता सताने लगी है। घाघरा नदी के जलस्तर में बुधवार को 10 सेमी का घटाव दर्ज किया गया। नदी का बीते मंगलवार को 69.60 मीटर पर था। बुधवार को 10 सेमी घटकर 69.50 मीटर पर पहुंच गया। नदी खतरा बिंदु 69.90 मीटर से 40 सेमी नीचे बह रही है। नदी के कहर बरपाने से श्मशान घाट से लेकर खाकी बाबा कुटी, डीह बाबा मंदिर तक कटान का खतरा बढ़ता जा रहा है। नदी के रौद्र रुप धारण करने से नगर की ऐतिहासिक धरोहरें मुक्तिधाम, भारत माता मंदिर, खाकी बाबा की कुटी, दुर्गा मंदिर, लोक निर्माण का डाक बंगला, हनुमान मंदिर, डीह बाबा का स्थान, शाही मस्जिद अभी भी खतरे की जद में हैं। सोनभद्र जिले में महज 24 घंटे के भीतर रिहंद बांध के जलस्तर में ढाई फीट से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी तरह ओबरा बांध के अधिकतम जलस्तर 193.24 मीटर के मुकाबले 192.80 मीटर बना हुआ है। नगवा बांध का जलस्तर अधिकतम जल संग्रहण क्षमता 354.60 मीटर के मुकाबले 354.01 मीटर पहुंच गया है। बांध में लगातार पानी आने का क्रम जारी है। धंधरौल बांध का अधिकतम जलस्तर 317.90 मीटर निर्धारित है। बुधवार की सुबह इस बांध का जलस्तर 316.44 मीटर रिकॉर्ड किया गया।
बलिया जिले में गंगा का बढ़ाव जारी है और अब तक करीब 20 गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं। गोपालपुर गांव में मंगलवार की रात तीन व बुधवार की सुबह एक मकान कटान की भेंट चढ़ गया। बाढ़ के पानी में डूबने से एक अधेड़ की मौत हो गई। गंगा व सरयू के साथ ही टोंस नदी का भी कहर शुरू हो गया है। गांव घिरते जा रहे हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक पर्याप्त नाव आदि की व्यवस्था नहीं कि जा सकी है। इसके चलते ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से कट चुका है। उधर, गांवों के पास बाढ़ का पानी भरने के कारण विद्युत विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से बैरिया तहसील क्षेत्र के 35 व सदर तहसील के 10 गांवों की बिजली आपूर्ति बंद कर दी है। विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता चंद्रकेश उपाध्याय ने बताया कि सभी उपकेंद्र प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी बाढ़ की स्थिति बने उन गांवों के तारों को खोल दें ताकि कोई बड़ा हादसा न हो सके।