नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी की वजह से इस साल मार्च में लागू लॉकडाउन साक्षी शर्मा के लिए किसी झटके से कम नहीं था क्योंकि जब वह चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नीट की तैयारी कर रही थीं, तभी कोचिंग और स्कूल अचानक बंद हो गए जिससे उनकी यह चिंता बढ़ गई कि अब उन्हें परीक्षा देने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा।
हालांकि, लॉकडाउन के कुछ दिनों बाद ही शर्मा और उनके दोस्तों को ऑनलाइन कक्षाओं के रूप में विकल्प मिला और जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह न केवल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए सर्वकालिक मित्र रहेगी बल्कि कोविड-19 की वजह से बनी नई सामान्य स्थिति में भी शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बना रहेगा।
चंडीगढ़ की रहने वाली शर्मा ने कहा, यह (लॉकडाउन) झटके की तरह आया…मुझे और मेरे जैसे अन्य विद्यार्थियों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। हम परीक्षा की तैयारी के बीच में थे और ऐसे में साल बर्बाद होने के बारे में सोचना भी भयावह था, लेकिन मैंने और मेरे दोस्तों ने तुरंत अपना ध्यान ऑनलाइन कोचिंग पर केंद्रित किया और सितंबर तक हम परीक्षा के लिए तैयार थे।
शर्मा ने एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य स्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पूर्व में तीन मई और 26 जुलाई को स्थगित हो चुकी नीट की परीक्षा 13 सितंबर को दी जिसका आयोजन राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने किया। शिक्षा उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन कक्षाओं में पंजीकरण कराने वाले विद्यार्थियों की संख्या में गुनात्मक वृद्धि हुई है और यह परिपाटी आगे भी जारी रहेगी।
प्रमुख ऑनलाइन कोचिंग संस्थान नीटप्रेप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कपिल गुप्ता ने कहा, कोरोना वायरस की महामारी की वजह से कई क्षेत्र में ठहराव आ गया था और विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में फंस गए। ऐसे में उनके पास ऑनलाइन अध्ययन के अलावा कोई विकल्प नहीं था जो लॉकडाउन के बावजूद प्रभावित नहीं हुआ था। गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थी पढ़ाई करना चाहते थे ताकि साल बर्बाद नहीं हो लेकिन साथ ही उन्हें सामान्य कक्षाओं में संक्रमण का भी खतरा था।
उन्होंने कहा, इसकी वजह से ऑनलाइन कक्षाओं में अचानक से तेजी आई क्योंकि यहां विद्यार्थियों को मास्क पहनने या सामाजिक दूरी बनाए रखने की चिंता नहीं थी। कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य ऑनलाइन पढ़ाई का है और कोचिंग संस्थानों को अपना अस्तित्व बनाए रखना है तो उन्हें इस पर विचार करना होगा। जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हृदय रोग विभाग के प्रमुख डॉक्टर अनिल दहाल ने कहा, कोविड-19 लॉकडाउन जैसी स्थिति से आमूल चूल परिवर्तन आया है। समय बचाने, विस्तृत सामग्री और शिक्षकों की वृहद उपलब्धता से विद्यार्थियों का आकर्षण ऑनलाइन कोचिंग की ओर बढ़ा है।
मेडिकल चिकित्सा पर करीब से नजर रखने वाले दहाल ने कहा, अगर पारंपरिक कोचिंग संस्थान अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं, तो धीरे-धीरे उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प देना होगा। जयपुर स्थित जेके लक्ष्मीपति विश्वविद्यालय के कुलपति आरएल रैना ने कहा कि ऑनलाइन कोचिंग से देश का राजस्व बढ़ा है। उन्होंने बताया कि भारत का ऑनलाइन शिक्षा का बाजार वर्ष 2018 में 39 अरब रुपये का था, जिसके वर्ष 2024 में 360.3 अरब रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।





