भक्ति मे ही शक्ति है : मुनि श्री

प्रवचन मे भक्तामर स्तोत्र के 45वें काव्य का वर्णन किया
लखनऊ। श्रावण कृष्ण षष्ठी, बुधवार को श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर डालीगंज मे उपाध्याय श्री 108 आदीश सागर जी मुनिराज के सानिध्य मे मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की अभिषेक, शांतिधारा हुई। मुनि श्री ने अपने प्रवचन मे भक्तामर स्तोत्र के 45वें काव्य का वर्णन किया। मुनि श्री ने बताया मनुष्य अनंत काल से चारो गतियों मे भ्रमण कर रहा है। मनुष्य इन्ही विषय कषाय के पीछे भाग रहा है। इन्ही मे आसक्त हो रहा हूँ। परन्तु जिस विषयो मे वह सुख समझ रहा है, वह तो असल मे दुख देने वाले है। मुनि श्री ने कहा की श्रावक को प्रतिदिन देव दर्शन अवश्य करने चाहिए। जिनेन्द्र प्रभु का स्मरण मात्र से सब संकट कट जाते है। अंधकार दूर होता है। मुनि श्री दिन मे केवल एक बार ही आहार लेते है। वह चातुर्मास मे अपनी साधना मे लीन है। उप प्रबंधक पार्श्व कुमार जी ने बताया की श्री जैन धर्म प्रवर्धनी सभा के अंतर्गत, मुनि श्री के सानिध्य मे आगामी 31 जुलाई को श्रावण शुक्ल सप्तमी पर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। प्रवचन मे सभा अध्यक्ष विनय जी, महामंत्री सुबोध जी, कोषाध्यक्ष सुशील जी, वरिष्ठ मंत्री वीर कुमार साड़ी वाले, मुख्य प्रबंधक वीर कुमार टिकैतनगर वाले, उप प्रबंधक पार्श्व कुमार मौजूद रहे।

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