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केंद्र सरकार की टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी के जरिए 1.2 करोड़ बार से अधिक परामर्श लिए गए

नयी दिल्ली।  केंद्र सरकार की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी के जरिए 1.2 करोड़ बार से अधिक परामर्श लिए गए हैं। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ऐसे शीर्ष 10 राज्यों में शामिल हैं जहां इस सेवा का सबसे अधिक इस्तेमाल हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वर्तमान में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी से देश भर में प्रतिदिन लगभग 90,000 रोगियों को इलाज मुहैया करा रहा है। इसे पूरे देश में रोगियों के साथ-साथ डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा व्यापक रूप से अपनाया गया है। मंत्रालय के मुताबिक ई-संजीवनी सेवा और ई-संजीवनी ओपीडी मंच के माध्यम से परामर्श पंजीकरण करने वाले शीर्ष दस राज्य आंध्र प्रदेश (37,04,258), कर्नाटक (22,57,994), तमिलनाडु (15,62,156), उत्तर प्रदेश (13,28,889), गुजरात (4,60,326), मध्य प्रदेश (4,28,544), बिहार (4,04,345), महाराष्ट्र (3,78,912), पश्चिम बंगाल (2,74,344) और केरल (2,60,654) हैं।

 

दो माध्यम से यह सेवा मुहैया कराई जाती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) जो हब और स्पोक मॉडल पर आधारित है। वहीं, ईसंजीवनीओपीडी (रोगी से डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) मॉडल पर आधारित है जो नागरिकों को उनके घरों की सीमा में बाह्य मरीज विभाग की सेवाएं प्रदान करती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी के माध्यम से लगभग 67,00,000 परामर्श लिए गए हैं। इसे आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों पर लागू किया जा रहा है। इसे नवंबर 2019 में शुरू किया गया था। आंध्र प्रदेश ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी सेवाओं को शुरू करने वाला पहला राज्य था। इसके लागू होने के बाद से, विभिन्न राज्यों में 2000 से अधिक हब और लगभग 28,000 स्पोक स्थापित किए गए हैं।

 

ईसंजीवनीओपीडी लोगों को गैर-कोविड-19 और कोविड-19 संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं के इलाज मुहैया कराने का टेलीमेडिसिन मॉडल है। इसे 13 अप्रैल 2020 को देश में पहले लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था, जब सभी ओपीडी बंद थे। अब तक, ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से 51,00,000 से अधिक रोगियों की सेवा की जा चुकी है। बठिंडा (पंजाब), बीबीनगर (तेलंगाना), कल्याणी (पश्चिम बंगाल), ज्षिकेश (उत्तराखंड) में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) जैसे देश के अग्रणी चिकित्सा संस्थान भी ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से बाह्य रोगी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

 

बयान में कहा गया, सरकार की ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य अंतराल को समाप्त कर रही है। यह माध्यमिक और तृतीय स्तर के अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने का काम कर रही है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप, यह डिजिटल पहल देश में डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र को भी बढ़ावा दे रही है। मोहाली में सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा विकसित एक स्वदेशी टेलीमेडिसिन तकनीक है। मोहाली में सी-डैक टीम एंड टू एंड सेवाएं प्रदान कर रही है। टेलीमेडिसिन की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए और कोविड-19 संक्रमण की एक और लहर फैलने की आंशका के मद्देनजर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने योजना बनाई है जिसके तहत ई-संजीवनी को प्रति दिन 500,000 परामर्श देने में सक्षम बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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