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मासिक दुर्गाष्टमी आज, भक्त करेंगे मां भवानी की आराधना

मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है
लखनऊ। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत जननी मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए दुर्गाष्टमी का व्रत रख किया जाता है। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में निहित है। जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, आने वाली बलाएं भी मां दुर्गा की कृपा से टल जाती हैं। इस वर्ष जुलाई माह की अष्टमी गुप्त नवरात्र के दौरान मनाई जाएगी। ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जुलाई को भारतीय समयानुसार दोपहर 03 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 14 जुलाई को संध्याकाल 05 बजकर 52 मिनट पर होगा। अत: 13 जुलाई को आषाढ़ गुप्त नवरात्र की सप्तमी है। वहीं, 14 जुलाई को आषाढ़ माह की अष्टमी है।

पूजा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 ए एम से 04:52 ए एम
प्रात: सन्ध्या – 04:32 ए एम से 05:33 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:55 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:20 पी एम से 07:40 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 07:21 पी एम से 08:22 पी एम
अमृत काल- 02:57 पी एम से 04:44 पी एम
निशिता मुहूर्त- 12:07 ए एम, जुलाई 15 से 12:48 ए एम, जुलाई 15
रवि योग- 10:06 पी एम से 05:33 ए एम, जुलाई 15

शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि पर सिद्धि और शिववास का योग बन रहा है। इस दिन सिद्धि योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 16 मिनट से हो रहा है। वहीं, शिववास योग संध्याकाल 05 बजकर 25 मिनट से हो रहा है। जबकि, रवि योग देर रात 10 बजकर 06 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से हर मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।

मां दुर्गा की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि व नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं। अष्टमी पर लाल रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना गया है। पूजा स्थल पर चौकी लगाएं अथवा लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें। मां दुर्गा को लाल फूल, फल और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। मां दुर्गा को हलवा-पूरी और श्रीफल का भोग लगाना चाहिए। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ माना गया है। पूजा के समापन के बाद परिवार सहित मां दुर्गा की आरती करें।

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