मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती भी कहा जाता है
लखनऊ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में हर वर्ष गीता जयंती मनाई जाती है। भगवद्गीता को सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथ माना गया है। केवल यही एक ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान बताया है। महाभारत के युद्ध से पूर्व अर्जुन जब मानसिक दुविधाओं और नैतिक प्रश्नों से जूझ रहे थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देकर उनका मार्गदर्शन किया था। हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है, मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का प्रारंभ- 11 दिसंबर 2024 को सुबह 03:42 बजे, एकादशी तिथि का समापन- 12 दिसंबर 2024 को सुबह 01:09 बजे तकरहेगा। उदयातिथि के अनुसार, गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन वारीयन योग बन रहा है, जो शाम 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस योग में पूजा करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं।
मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार वैखानस नामक राजा को एक बार सपना आया कि, नरक में उसके पिता को यातनाएं झेलनी पड़ रही है। पिता की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा पर्वत महात्मा के आश्रम पहुंचे और पिता को मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा। महात्मा ने बताया कि उसके पिता ने पिछले जन्म में बुरे कर्म किए थे जिस कारण उन्हें नरक में यातनाएं झेलनी पड़ रही है। महात्मा ने राजा को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत-पूजन करने को कहा, जिसके प्रभाव से उनके पिता को मुक्ति मिल सके। राजा ने विधि-विधान से मोक्षदा एकादशी का व्रत-पूजन किया, जिससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और साथ ही राजा को भी आशीर्वाद मिला।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का पर्व भगवद्गीता के दिव्य संदेश को याद करने और आत्मसात करने का दिन है। यह दिन मोक्षदा एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है। कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि में अर्जुन को दिए गए श्रीकृष्ण के उपदेश न केवल उनके लिए बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं। गीता के 18 अध्यायों में जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के मार्ग बताए गए हैं।
पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी के दिन प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए उनकी पूजा विधि पूर्वक करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें। श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र पर चंदन, फूल और दीपक अर्पित करें। भगवद्गीता के ग्रंथ पर चंदन और तिलक लगाकर उसका पूजन करें। गीता के श्लोकों का पाठ करें और गीता की आरती करें।