नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू की गई देशव्यापी बंदी (लॉकडाउन) से लोगों, खासकर श्रमिक एवं कम आय वर्ग के लोगों को हुई परेशानी के लिए क्षमा मांगते हुए देशवासियों से कोरोना को परास्त करने के लिए चिकित्सकों की सलाह मानने और लॉकडाउन का पालन करने की अपील की।
मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में देशवासियों से कहा कि लॉकडाउन लागू करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। साथ ही उन्होंने इस वायरस को परास्त करने की जंग में जीत का भरोसा जताया।
गौरतलब है कि भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 979 तक पहुंच चुकी है जबकि 25 लोगों की इसके चलते जान जा चुकी है।
उन्होंने कहा, सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं। और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरुर क्षमा करेंगें क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं, खास कर मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूं तो जरुर लगता है।वे सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया उनसे भी मैं विशेष रूप से क्षमा मांगता हूं।
मोदी ने इस बार मन की बात कार्यक्रम को कोरोना संकट पर ही केन्द्रित रखा। उन्होंने अपने संबोधन के प्रारंभ में ही कहा, प्यारे देशवासियो, आमतौर पर मैं मन की बात, में कई विषयों को ले कर आता हूं। लेकिन, आज देश और दुनिया के मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात है- कोरोना वैश्विक महामारी से आया हुआ भयंकर संकट। ऐसे में, मैं और कुछ बातें करूं वो उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बीमारी का प्रकोप फैलने से पहले ही उससे निपटना चाहिए वरना बीमारी असाध्य हो जाती है।
मोदी ने कहा, कोरोना सभी को चुनौती दे रहा है। ये देश की सीमाओं से परे है। यह मानव जाति को समाप्त करने की जिद ठान कर बैठा है। लेकिन हमें इसका खात्मा करने का संकल्प लेकर ही आगे बढऩा होगा। उन्होंने लोगों से आने वाले कई दिनों तक धैर्य बनाए रखने की अपील की।
उन्होंने कहा कि हमें लक्ष्मणरेखा का पालन करना ही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग नियमों का अब भी पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों को यही कहूँगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जाएगा।
मोदी ने कहा कि इस संघर्ष में अग्रिम पंक्ति में लगे कई योद्घा खासकर नर्स बहनें, डाक्टर पारामेडिकल स्टाफ कोरोनो को पराजित कर चुके हैं, उनसे सभी को प्रेरणा लेनी है। उन्होंने ऐसे ही कुछ लोगों से कार्यक्रम के दौरान फोन पर बात भी की।
मोदी ने हैदराबाद के आईटी विशेषज्ञ रामगम्पा तेजा से बात की। राम ने उन्हें बताया कि वह एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए दुबई गए थे। दुबई से भारत वापस आते ही उन्हें बुखार हुआ। हैदराबाद में एक अस्पताल में उन्हें कोरोना के परीक्षण में संक्रमण की पुष्टि हुई। राम ने बताया कि उन्होंने डाक्टरों की देख-रेख में इलाज कराया और 14 दिन बाद ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी मिली।
मोदी ने उनके अनुभवों से देशवासियों से सबक लेने की अपील करते हुए कहा कि राम ने हर उस निर्देश का पालन किया जो डाक्टर ने दिए। तभी वह कोरोना को पराजित कर स्वस्थ हो सके। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ जंग में चिकित्साकर्मियों के सेवाभाव को नमन करते हुए कहा कि उनकी निस्वार्थ सेवा से ही कोरोना को हराने में सफलता मिल सकेगी।
उन्होंने प्राचीन चिकित्साशास्त्री चरक की एक उक्ति का जिक्र करते हुए कहा जो चिकित्सक धन और किसी खास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए, दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है। इस दौरान उन्होंने दो चिकत्सकों दिल्ली के डा नीतेश गुप्ता और पुणे के डा. बोरसे से भी बात कर इस अभियान में उनके अनुभव साझा किए।
डा. गुप्ता ने प्रधानमंत्री से कहा कि हम सैनिकों की तर्ज पर पूरी तरह से मुस्तैद हैं। हमारा एक ही ध्ये है कि प्रत्येक मरीज ठीक होकर घर जाए। डा. गुप्ता ने इस काम में पेश आ रही चुनौतियों के बारे में मोदी को बताया कि घबराए हुए मरीजों को शुरु में बहुत समझाना होता है कि वे ठीक हो जाएंगे।
उन्होंने कहा, हम मरीजों की कांउसलिंग करके समझाते हैं कि वे कैसे जल्द ठीक होंगे। मरीजों से हम बार बार बात करते हैं और जब मरीज ठीक होने लगते हैं तो फिर उनमें आत्मविश्वास आता है। डा. गुप्ता ने बताया कि वह अब तक 16 मरीजों को ठीक करके अस्पताल से घर भेज चुके हैं। मोदी ने कहा कि नीतेश जी जैसों के प्रयासों से भारत इस लड़ाई में अवश्य जीतेगा।
इस बीच प्रधानमंत्री ने मरीजों की सेवा करने वाली नर्सों के योगदान को भी सराहनीय बताते हुए कहा, मानवता से भरी हर नर्स को आज मैं नमन करता हूं। आप सभी जिस सेवा भाव के साथ कार्य करते हैं वो अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि यह भी संयोग है कि वर्ष 2020 को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय नर्स एवं मिडवाइफ वर्ष के रूप में मना रहा है।
उन्होंने कोरोना के खिलाफ जंग में लगे प्रत्येक योद्धा को रियल हीरो बताते हुए कहा कि आप जैसे साथी चाहे वे डाक्टर हों, नर्स हों, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्य हों, आशा वर्कर हों या सफाई कर्मचारी हों, आपके स्वास्थ्य की भी देश को बहुत चिंता है।
मोदी ने कहा कि इसके मद्देनजर ही ऐसे करीब 20 लाख साथियों के लिए 50 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य-बीमा की घोषणा सरकार ने की है, ताकि आप इस लड़ाई में और अधिक आत्मविश्वास के साथ देश का नेतृत्व कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस को परास्त करने में एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाने (सोशल डिस्टेंसिंग) को कारगर बताते हुए देशवासियों से लॉकडाउन के दौरान संक्रमण के संदिग्ध मरीजों के प्रति वैरभाव प्रकट करने से बचने की अपील की।
मोदी ने कहा कि ऐसे कुछ मामले संज्ञान में आए हैं जिनमें कुछ लोग संदिग्ध मरीजों के प्रति बुरा बर्ताव कर रहे हैं, यह दुखद है। उन्होंने अपील की कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब भौतिक दूरी को बढ़ाना और भावनात्मक दूरी को घटाना है।
उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ एक दूसरे से मन की दूरी बनाना नहीं बल्कि भौतिक दूरी को बरकरार रखते हुए संक्रमण को दूसरों में फैलने से रोकना और संक्रमण से खुद को बचाना भी है।
उन्होंने कहा कि इसका अर्थ किसी संक्रमित व्यक्ति या संक्रमण के संदिग्ध व्यक्ति को दुत्कारना नहीं है। मोदी ने लॉकडाउन के दौरान समय का सदुपयोग करने वाले लोगों के अनुभवों को भी साझा किया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर देश के विभिन्न इलाकों के लोगों द्वारा बताए जा रहे उनके अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि कोटा के यशवर्धन ने नरेंद्र मोदी एप पर लिखा है कि वे लॉकडाउन में पारिवारिक संबंधों को मजबूत बना रहे हैं।
मोदी ने कहा कि एक तरफ लॉकडाउन में लोग अपने घरों तक सीमित हैं, वहीं लॉकडाउन ने ऐसे तमाम कामों को करने का अवसर भी दिया है जो कामकाज की व्यस्तताओं के कारण लोग नहीं कर पाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवधि में आप संगीत, बागवानी और अन्य शौक पूरे कर सकते हैं, साथ ही बचपन के मित्रों से भी बात कर इस समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने लॉकडाउन के दौरान रोजर्मा की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में लगे दवा, दूध, सब्जी और किराना विक्रेताओं के सहयोग की भी सराहना करते हुए कहा कि ये लोग संकट के इस दौर में जोखिम लेकर भी सभी देशवासियों को जरूरत की वस्तुएं मुहैया करा रहे हैं।
मोदी ने इस दौरान संचार एवं बैंकिंग सेवाएं भी बहाल रखने के लिए संचार और बैंकिंग सेवाकर्मियों के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। इससे पहले मोदी ने आगरा के 73 वर्षीय अशोक कपूर से भी फोन पर बात की जिनका पूरा परिवार कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ गया था।