मंच पर नयी रोशनी बिखेर गया ‘मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया’

एसएनए में 17 दिवसीय नाट्य महोत्सव का आगाज, तीन नाटकों का मंचन
लखनऊ। मंचकृति समिति संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित 17 दिवसीय नाट्य महोत्सव का आगाज एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में किया गया। नाट्य महोत्सव के पहले दिन तीन नाटकों का मंचन किया गया जिसका निर्देशन संगम बहुगुणा व विकास श्रीवास्तव ने किया। नाट्य महोत्सव में मंच पर पूरी तरह से महिला सशक्तिकरण का रंग दिखायी दिया। तीनों कहानियों में महिलाओं की अहम भूमिका दिखायी दी।

मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया
पहले नाटक मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया का मंचन किया गया जिसका लेखन संध्या दीप रस्तोगी ने किया। नाटक में दर्शाया कि अभाव में ही भाव होते हैं ऐसे ही अभावों में जीता एक अति साधारण व्यक्ति, एक शिक्षिका की सीमित दुनिया को असीम कर गया। चके पांव और मुफलिसी के बोझ तले दबे अपने बेजान जीवन से नई रोशनी बिखेर गया। सह अनुभूति से स्व अनुभूति की यात्रा को उकेरती कहानी ‘मेरी चिड़िया उसकी चिड़िया। नाटक में मुख्य भूमिका संध्या दीप रस्तोगी ने निभायी।

ग्रहण
कहानी का आरंभ माँ बेटे के नेहपूर्ण रिश्ते को रेखांकित करते हुए होता है। हर माँ अपने पुत्र के होने के साथ एक सपना देखती है, बहू का सपना। बेटे के हाव-भाव से माँ यानी डॉ. रागनी को आभास होता है कि उसके बेटे के जीवन में कोई आ गया है, किसी ने प्यार भरी दस्तका दे दी है। माँ उससे मिलने की इच्छा जताती हैं और बेटा अगले ही दिन प्रिया को लेकर घर आ जाता है। यहीं से कहानी आकार लेती है। रिश्तों और भावनाओं के बीच सामन्जस्य बैठाती ये कहानी अपने अन्त की ओर बढ़ती है। नाटक में अहम भूमिका रचना मुकेश टंडन, काव्या मिश्रा और अनुराग शुक्ला ने निभाया।

गरीबनी का पति
गरीबनी का पति सारांश- ईश्वर की प्रकृति को दी गई सबसे बड़ी सौगात है प्रेम। प्रेम कभी भी हो सकता है, कहीं भी हो सकता है, किसी को भी हो सकता है, किसी से भी हो सकता है। प्रेम को परिभाषित करना व्यर्थ है। एक महिला जिसने अपने जीवन में कभी किसी के ऊपर एक बेला तक नहीं खर्च किया। स्वयं पर भी नहीं। वो अपना सब कुछ लुटा देती है, एक भिखारी पर, और ना ना करते कर बैठती है… उससे प्यार… वो भी मरते मरते। नाटक में अहम भूमिका अम्बरीश बॉबी, काव्या मिश्रा,ज्योति सिंह और सोम गांगुली ने निभायी।

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