‘चांद तन्हा आसमां तन्हा’ में दिखा मीना कुमारी का सिनेमाई जीवन

एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में किया नाटक का मंचन
लखनऊ। नाट्य निर्वाण फेस्टिवल के तत्वावधान में नाटक चांद तन्हा आसमां तन्हा का मंचन एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में किया गया। नाटक का परिकल्पना व निर्देशन शुभम तिवारी ने किया।
प्रसिद्ध चरित्रों के बारे में ऐसा भ्रम होना कि हम इन्हें अच्छे से जानते हैं एक लोकप्रिय भ्रम है और इसमें कोई आश्चर्य की बात भी नहीं है, लेकिन कहते हैं न कि जैसे बिना गहरे पानी के पेठे मोती हासिल नहीं हो सकता, ठीक उसी प्रकार बिना सही दिशा में गहन अध्ययन के जानकारी का होना एक भ्रम मात्र है। फिर यह भी तो सत्य है कि प्रसिद्ध चरित्रों के बारे में सत्य से ज्यादा मुल्य हवाओं में तैर रहा होता है और जब बात सिनेमा जैसी अति-लोकप्रिय विधा की हो तम यहाँ सत्य तक पहुँचने की चुनौती और भी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि पल्प फिक्शन यहाँ के कण-कण में व्याप्त है।
एक अभिनेत्री, एक शायरा और सबसे बढ़कर एक इंसान के रूप में मीना कुमारी पर काम करते हुए उन्हें यथासंभव समझने का प्रयत्न किया है और हमने पूरी चेष्टा की है कि हम बने-बनाए, लोकप्रिय और ज्ञात छवि से इतर जाकर भी उन्हें समझ सकें। लेकिन इस बात से भी हम इनकार नहीं करते कि संभव हो कि सत्य इससे परे भी हो और फिर इस बात से कोई कैसे इनकार कर सकता है कि इंसान समझता भी अपनी समझ से ही है।
इस नाटक में मीना कुमार का जीवन, उनका रचनाकर्म के साथ ही साथ उनकी फिल्मों के प्रसंग और फिल्मी गानों का इस्तेमाल है, जो हमारी हष्टि को उस समय में ले जाने और कई स्थान पर घटनाक्रम को परिभाषित करने में सहायक सिद्ध होती है। अब चूँकि कोई भी प्रस्तुति आज के दर्शकों के लिए होती है इसलिए इसकी प्रस्तुतीकरण में आधुनिक सवेदनशीलता का भी यथा- संभव ध्यान रखा गया है।
किसी भी नाट्य प्रस्तुति का उद्देश्य इतिहास की पुनरावृत्ति कभी नहीं होती बल्कि यहाँ ऐतिहासिक चरित्रों के माध्यम से दरअसल हम वर्तमान को ही संबोधित और परिभाषित कर रहे होते हैं। मीना के मार्फत भी हमारी चेष्टा यही है। नाटक अपने आप बोलता है, इसलिए प्रस्तुति देखिए और खुद तय कीजिए। नाटक में अहम भूमिका गुंजन जैन ने किया।

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