उप्र में 30 से 40 वर्ष वालों में संक्रमण के सबसे अधिक 48.7 प्रतिशत मामले

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 48.7 फीसदी मामले 30 से 40 वर्ष वालों में पाए गए हैं। प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, 60 साल से ऊपर के लोग, जिनके बारे में हम कहते हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा बचाना है, कुल संक्रमण का 8.1 प्रतिशत संक्रमण इस आयुवर्ग के लोगों में पाया गया।

उन्होंने कहा, 40 से 60 वर्ष आयु के लोगों में 25.5 प्रतिशत संक्रमण पाया गया। 30 से 40 वर्ष के लोगों में जो संक्रमित हुए, उनका आंकडा 48.7 प्रतिशत है जबकि 30 वर्ष से कम आयु के 17.7 प्रतिशत लोगों में संक्रमण है। प्रसाद ने बताया कि संक्रमित पुरूषों का प्रतिशत 78.5 है जबकि महिलाओं की संख्या 21.5 प्रतिशत है। प्रमुख सचिव ने कहा कि प्रदेश में अब तक 72 जिलों से 3520 मामले संक्रमण के आए हैं। कुल 1655 लोग पूर्णतया उपचारित हो चुके हैं।

कुल 79 लोगों की मौत कोरोना वायरस संक्रमण से हुई है। ऐसे व्यक्ति जिनका अभी इलाज चल रहा है ऐसे मामलों की संख्या 1786 है। उन्होंने कहा कि जो लोग आरोग्य सेतु ऐप का लगातार उपयोग कर रहे हैं, उनके लिए जो भी एलर्ट आ रहे हैं, हम लोगों को भेज रहे हैं। एक समानान्तर व्यवस्था भी की गई है। जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, उन्हें लगातार हमारे नियंत्रण कक्ष से फोन किया जा रहा है। अब तक 2058 ऐसे लोगों को फोन किया जा चुका है और उनमें से नौ कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए। इस समय उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

प्रमुख सचिव ने कहा कि बाकी लोगों को हम नियंत्रण कक्ष के माध्यम से बता रहे हैं कि वे सावधान रहें। अपनी सेहत का लगातार मूल्यांकन करें । ढेर सारे लोगों ने बताया कि उनकी तबियत अब ठीक है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया जा सकता है, जहां खांसी, सांस लेने में दिक्कत या बुखार जैसे लक्षणों को लेकर सलाह ले सकते हैं। जरूरत पडी तो विशेषज्ञ बताएंगे कि जाकर जांच कराइए और अगर संक्रमण पाया गया तो चिकित्सा की व्यवस्था भी होगी। जांच और चिकित्सा की व्यवस्था सरकार की ओर से मुफ्त की गई है।

प्रसाद ने कहा कि इस समय काफी संख्या में प्रवासी कामगार प्रदेश में आ रहे हैं। ऐसे प्रदेशों से भी कामगार आ रहे हैं, जहां ए संक्रमण फैला हुआ है। कुछ लोगों के संक्रमित होने की सूचना भी आ रही है । इसके लिए हमने जो सार्वजनिक निगरानी का माडल दिया है, उसका बहुत सही उपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांवों में ग्राम निगरानी समितियां हैं जो ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में बनी हैं जबकि शहरों में सभासद की अध्यक्षता में मोहल्ला निगरानी समितियां बनाई गई हैं। इन्हें मजबूती से काम करना है ताकि जो भी बाहर से आ रहे हैं, घर पर पृथक कडाई से रहें। जिनमें लक्षण आ रहे हों, उनका परीक्षण कराकर, अगर संक्रमण है तो अस्पतालों में भर्ती कराया जाए।

प्रसाद ने कहा कि अगर संक्रमण नहीं है तो सात दिन पृथक कर, फिर परीक्षण कराकर 14 दिन के लिए घर पर पृथकवास में भेजेंगे। कोई भी प्रवासी रेलवे स्टेशन से सीधे घर नहीं भेजा जाएगा। पहले आश्रय स्थल ले जाएंगे। लक्षण रहित होने पर 21 दिन के लिए घर पर पृथक रखा जाएगा। ऐसे में सार्वजनिक निगरानी अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने दोहराया कि साबुन पानी से बार बार हाथ धोते रहिए। मुंह और नाक को फेसकवर जैसे गमछे, मास्क, दुपटटे या रूमाल से ढंकें, एकदूसरे से दूरी बनाए रखने के नियम का पूरा पालन करें। दो गज की दूरी बनाएं और बेवजह घर से ना निकलें। प्रसाद ने कहा कि इन बातों का पालन करके ही हम अपने आपको बचा सकते हैं। बचाव ही एकमात्र रस्ता है इसलिए सबको ध्यान देना चाहिए।

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