ग्रेटा थनबर्ग समेत कई विदेशी लोगों ने किया किसानों का समर्थन, भारत ने की निंदा

नई दिल्ली। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन की दिशा में काम करने वाली ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अनेक लोगों ने केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों के प्रति समर्थन व्यक्त किया है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय पॉप गायिका रिहाना ने एक खबर साझा की थी जिसमें कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद करके किसानों के खिलाफ केन्द्र की कार्रवाई का जिक्र किया गया था, इसके बाद लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं।

थनबर्ग ने मंगलवार को ट्वीट किया, हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं। उन्होंने इसके साथ ही सीएनएन की एक खबर टैग की जिसका शीर्षक था प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस में झड़प के बीच भारत ने नई दिल्ली के आसपास इंटरनेट सेवा बंद की। हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा, यह महज संयोग नहीं है कि अभी एक माह भी नहीं हुआ कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र पर हमला हुआ और जब हम बात कर रहे हैं उस वक्त सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला हो रहा है।

पेशे से वकील मीना हैरिस ने ट्वीट किया, यह जुड़ा हुआ है। हम सब को भारत के इंटरनेट बंद करने और किसानों के प्रदर्शन पर अर्धसैन्य बलों की हिंसा पर आक्रोशित होना चाहिए। इससे पहले रिहाना ने ट्वीट किया, हम किसानों के आंदोलन के बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? इस बीच भारत ने किसानों के प्रदर्शन पर विदेशी हस्तियों एवं अन्य लोगों की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया की है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रदर्शन के बारे में जल्दबाजी में टिप्पणी से पहले तथ्यों की जांच-परख की जानी चाहिए और सोशल मीडिया पर हैशटैग तथा सनसनीखेज टिप्पणियों की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना है। मंत्रालय ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी समूह प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं और संसद में पूरी चर्चा के बाद पारित कृषि सुधारों के बारे में देश के कुछ हिस्सों में किसानों के बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हम अनुरोध करेंगे कि ऐसे मामलों में जल्दबाजी में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पड़ताल की जाए और मुद्दों पर यथोचित समझ विकसित की जाए। बयान के अनुसार, खासतौर पर मशहूर हस्तियों एवं अन्य द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना है। इससे पहले नौ साल की जलवायु कार्यकर्ता लिसीप्रिया कंगुजम ने थनबर्ग से प्रदर्शन को समर्थन देने का अनुरोध किया था और कहा था कि किसान पहले ही जलवायु परिवर्तन जैसे संकट का सामना कर रहे हैं।

उसने ट्वीट किया, ग्रेटा थनबर्ग लाखों भारतीय किसानों की आवाज को समर्थन दें। यह उनके अधिकारों का विश्व का सबसे बड़ा ऐतिहासिक प्रदर्शन है। कंगुजम को भारत की ग्रेटा थनबर्ग भी कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन पर युगांडा की कार्यकर्ता वानेसा नकाटे ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है। उन्होंने कंगुजम को टैग करते हुए कहा, हमें भारत में हो रहे किसानों के प्रदर्शनों पर आवाज उठानी चाहिए।

कंगुजम ने एक अन्य ट्वीट में कहा, प्रिय मित्रों, ठंड के इस मौसम में सड़कों पर सो रहे हमारे गरीब किसान आपसे कोई अपेक्षा नहीं रखते। उनके मुद्दे पर प्यार और समर्थन भरा एक ट्वीट उनके लिए बहुत मायने रखता है। हमारी मशहूर हस्तियां दफा हो जाओ। गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान पिछले करीब दो महीने से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

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