‘चेतना स्रोत’ पत्रिका, ‘प्रेमनाथ तिथि पर्व पत्रिका’ और ‘वक़्त के साँचे में’ का लोकार्पण
लखनऊ। लब्धप्रतिष्ठ साहित्यिक संस्था चेतना साहित्य परिषद् द्वारा अपना 54वाँ संस्थापना दिवस समारोह एक भव्य सारस्वत आयोजन करके मनाया गया। रवीन्द्रालय सभागार चारबाग में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता डॉ. सुधाकर अदीब, पूर्व निदेशक, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’, पूर्व रीडर, जे.एन.पी.जी. कालेज, लखनऊ और विशिष्ट अतिथि के रूप में रत्नेश गुप्त, संरक्षक, चेतना साहित्य परिषद् मंच पर शोभायमान रहे। इस समारोह में कई विभूतियों को विभिन्न सम्मानों से अलंकृत किया गया। साथ ही संस्था की छन्दबद्ध काव्य प्रधान त्रैमासिक पत्रिका चेतना स्रोत, डॉ. आशुतोष वाजपेयी द्वारा संपादित ज्योतिष पत्रिका प्रेमनाथ तिथि पर्व पत्रिका तथा प्रमोद द्विवेदी ‘प्रमोद’ की कृति वक़्त के साँचे में (गजल संग्रह) का लोकार्पण भी इस समारोह में किया गया। समारोह का संचालन प्रमोद द्विवेदी ‘प्रमोद’ ने किया। स्वागत भाषण राम औतार ‘पंकज’ ने किया। संस्थाध्यक्ष डॉ. शिवभजन ‘कमलेश’ ने संस्था के क्रियाकलापों के संबंध में विस्तार से चर्चा की।
इस समारोह में चेतना गौरव सम्मान जगदीश शुक्ल को, चेतना रत्न सम्मान डॉ. शोभा दीक्षित ‘भावना’ को, चेतनाश्री सम्मान अटल नारायण को, डॉ. दाऊजी गुप्त स्मृति सम्मान पवन बाथम को, कृष्ण मुरारी ‘विकल’ स्मृति सम्मान तेजनारायण श्रीवास्तव ‘राही’ को, जगमोहन नाथ कपूर ‘सरस’ स्मृति सम्मान केदार नाथ शुक्ल को, पं. शिवशंकर मिश्र स्मृति सम्मान अनन्त प्रकाश तिवारी को, चमनलाल अग्रवाल स्मृति सम्मान डॉ. आनन्द त्रिपाठी को, रमनलाल अग्रवाल स्मृति सम्मान डॉ. अवधी हरि को, धर्मांश सम्मान कमलापति पांडेय ‘कँवल’ को, पं. रूपनारायण द्विवेदी स्मृति सम्मान कमल किशोर ‘भावुक’ को, जियालाल अग्रहरि स्मृति सम्मान मुकेश कुमार मिश्र को और विशिष्ट सहयोग सम्मान डॉ. राजेशधर द्विवेदी को प्रदान किया गया। सम्मानित विभूतियों को सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त आदि से अलंकृत किया गया तथा कुछ प्रतीकात्मक धनराशि भी प्रदान की गई। इन सभी विभूतियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सरस काव्यपाठ किया और साहित्य रस बरसाकर पूरे सभागार को आनन्दित कर दिया।
तदोपरांत मंचासीन विद्वानों द्वारा विचार व्यक्त किए गए। विशिष्ट अतिथि रत्नेश गुप्त जी ने सम्मानित साहित्यकारों को बधाई देते हुए संस्था के निरंतर उन्नति करते रहने की कामना की और कहा कि वे इस दिशा में यथासंभाव सहयोग देते रहेंगे। मुख्य अतिथि डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’ ने अपना अभिमत व्यक्त करते हुए कहा कि चेतना साहित्य परिषद संस्था छन्दबद्ध काव्य के उन्नयन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिक का निवर्हन कर रही है और ‘चेतना स्रोत’ पत्रिका के माध्यम से इसे देश विदेश में आगे बढ़ा रही है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सुधाकर अदीब ने सम्मानित विभूतियों को बधाई देते हुए उनके साहित्यिक योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चेतना साहित्य परिषद हिन्दी साहित्य और विशेष रूप से छन्दबद्ध काव्य के प्रसार में उत्तरोत्तर सराहनीय कार्य करने में लगी हुई है और नये रचनाकारों को दिशा भी दे रही है। उन्होंने कहा कि डॉ. दाऊजी गुप्त के समय इस संस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली और विदेश में रहने वाले अनेक महानुभावों को यहाँ सम्मानित किया गया।
इस सारस्वत समारोह में लखनऊ की अनेक साहित्यिक संस्थाओं के पदाधिकारियों और अनेक गणमान्य साहित्यकारों तथा संस्था के समस्त पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा सहभागिता करके समारोह को सफल बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया गया। अन्त में डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ‘मृदुल’ ने सभी अभ्यागत महानुभावों को धन्यवाद ज्ञापित किया।