स्नान-दान का प्रतीक त्यौहार मकर संक्रांति आज, शुरू होंगे मांगलिक कार्य

लखनऊ। मकर संक्रांति मनाने की तिथि को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी है। वैसे अधिकांश लोग 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाएंगे। मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा। दरअसल, पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति 14 जनवरी के बदले अधिकांश लोग 15 जनवरी को मनाते आये हैं। हालांकि कई पुरोहितों के मुताबिक मकर राशि में सूर्यदेव के गोचर करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं। इस साल सूर्य देव का गोचर मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर होगा। उस क्षण सूर्य की मकर संक्रांति होगी। मकर संक्रांति में उदयातिथि की मान्यता नहीं है, इसमें सूर्य के मकर राशि में गोचर के समय की मान्यता है। पुरोहित पंकज कुमार पांडेय ने कहा की ऐसे में मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 जनवरी मंगलवार को है, न कि 15 जनवरी को। मकर संक्रांति पर पूजा, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य पुण्य काल में किए जाते हैं। 14 जनवरी को सुबह 09.03 बजे से लेकर शाम 05.46 बजे तक पुण्य काल रहेगा। वही इस दिन महा पुण्य काल सुबह 09. 03 से लेकर सुबह 10. 48 बजे तक रहेगा। इसलिए इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाना ही उत्तम और शास्त्र सम्मत है। मकर संक्रांति पर लोग गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं, गुड़, तिल, खिचड़ी, गरम कपड़े आदि का दान करते हैं। ऐसा करने से पाप मिटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी होगा। उस दिन महाकुंभ मेले का दूसरा दिन होगा। मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, दान आदि भी करते हैं। लोग मकर संक्रांति पर पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए दान करते हैं। मकर संक्रांति को खिचड़ी और उत्तरायणी भी कहते हैं।

मकर संक्रांति के महापुण्यकाल की अवधि 1 घंटा 47 मिनट
इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को है। इस पर्व में कोई भद्रा नहीं है, यह सुबह से शाम तक शुभ रहेगा। वैदिक ज्योतिष संस्थान के आचार्य पीसी शुक्ला के अनुसार, मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दौरान स्नान, दान, और तिल-गुड़ के सेवन से व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है। महापुण्यकाल की अवधि सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहेगी, जो 1 घंटा 47 मिनट होगी।

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को ही मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

मकर संक्रांति पर दान करना होता है शुभ

मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है। पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में ये नई फसल काटने का समय होता है। इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।

मकर संक्रांति का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है, लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक अन्य कथा के अनुसार, असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

राजधानी में मकर संक्रान्ति पर खिलेंगे विविधता के फूल:

मिट्टी की हांडी में पारंपरिक बरसों पुराना खिचड़ी का स्वाद, स्नान संग दान, घेवर की महक और जलेबी का स्वाद तो कहीं पकौडियों की महक तो केले के पत्ते पर बिखरते परंपरिक त्यौहार के स्वाद…साल भर अलग-अलग समुदायों के पर्वों से रंगी रहने वाली राजधानी में आज मकर संक्रान्ति के अवसर पर विविधता के रंग देखने को मिलेंगे। आज जहां युवा और बच्चों में पतंगबाजी और पेच लड़ाए जाएंगे तो वहीं पुरानी रीति से बुजुर्ग पूजापाठ करते नजर आएंगे।

पकवानों का उठाते हैं लुत्फ :

मकर संक्रान्ति का पर्व सिंधी समाज में तरमूरी के नाम से जाना जाता है। सिंधी समाज के लोग संक्रान्ति की पूर्व संध्या पर सामूहिक रूप से रात में अलाव जलाकर माता लाललोई की पूजा करते हैं। तिल के लड्डू, तिल की पट्टी, मीठे चावल, पालक का साग, मिठाई जैसे पकवानों का लुत्फ उठाते हैं पर सबसे पहले इस भोग को गाय को अर्पित कर फिर कन्या को भोग लगाते हैं।

आटे और गुड़ की बनती है मीठ्ठी कतली:
पर्वतीय समाज इस त्यौहार को कुमाऊनी समाज में घुघुतिया कहते हैं। मकर संक्रति के दिन बनने वाले भोजन को घुघुती कहते हैं। सूरज निकलने पर स्नान कर सबसे पहले मंदिरों में जाकर माथा झुकाते हैं। सर्वाधिक लोग बाग मंदिरों में बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाकर पूजा को संपन्न करते हैं। उन्होने बताया कि इस दिन हमारे समाज के बच्चे पकवानों को सुबह सवेरे ही ऊंचे स्थान पर रख देते हैं और कौओं को खाना खिलाया जाता है। इस दिन घर की महिलाएं आटे और गुड़ की मीठ्ठी कतली बनाती हैं, जिसको घुघुरी कहते हैं इसके संग मालपुआ और बरा भी बनाया जाता है।

गरीबों की करते हैं मदद:

मकर संक्रति को माघी कहकर बुलाते हैं इस दिन नदी किनारे दीप प्रज्जवलित कर खुशियां मनाते है गरीबों को कपड़े बाटना, जरूरतमंदों की मदद करना इस त्योहार का उदेश्य है। इस दिन भांगडा गिद्दा और डीजे पर शोर शराबे संग परिवार संग मस्ती करते हैं। शादीशुदा जोड़ों को घर के बुजुर्ग आशीर्वाद के रूप में नेग देते हैं।

रंग-बिरंगी पतंगों की दुकानों पर उमड़ी भीड़
लखनऊ। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इसके चलते बाजारों में सामानों की दुकानें जहां सजी गई हैं। वहीं, दुकानों पर रंग बिरंगी पतंग भी सज गए। कार्टून, फिल्मी कलाकारों व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी के चित्र वाले पतंगों की अधिक डिमांड देखी जा रही है। पतंगबाजी को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मकर संक्राति के मौके पर पतंग उड़ाने कि परम्परा सदियों से चली आ रही है। त्योहार के एक पखवारे पूर्व से लेकर 15 दिन बाद तक त्योहार का खुमार सिर चढ़कर बोलता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर्व के दिन से साल के अच्छे दिनों कि शुरूआत होती है। इस दिन गंगा स्नान कर पूजा, पाठ तथा गुड़ मीठे पकवान बनाने कि परम्परा है। इसके साथ ही त्योहार पर बच्चों के साथ जवान तथा बड़े बूढ़े भी साथ देते हैं। ऐसे में बाजारों में रंग बिरंगी पतंग की दुकानें सज गई हैं। जहां पर खरीददारों की संख्या देखी जा रही है।

सीएम योगी का क्रेज, बुलडोजर बाबा पतंग की बढ़ी डिमांड:

मकर संक्रांति का दिन धार्मिक महत्व के साथ पतंगबाजों के लिए भी खास होता है। लखनऊ में इस दिन आसमानों में रंग-बिरंगे पतंग दिखते है। इस बार रंग-बिरंगे पतंगों के बीच एक खास पतंग भी लखनऊ के आसमानों में देखने को मिल रहा है। राजधानी के बाजारों में इस बार बुलडोजर बाबा वाली पतंग की खासी डिमांड है। बाजार में ये पतंग छाए हुए हैं। बुलडोजर बाबा वाली इस पतंग पर सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर बनी है, इसके अलावा बुलडोजर को भी जगह मिली है। इतना ही नहीं इस पतंग पर भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल भी छपा है। दुकानदार अरविंद ने बताया कि रंग बिरंगे पतंगों के बीच बुलडोजर बाबा पतंग युवाओं को पंसद आ रहा है।

चिउरा-गुड़ व तिल के लड्डू की खूब हुई बिक्री
लखनऊ। मकर संक्रांति खिचड़ी पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इसके मद्देनजर चिउरा, लाई, तिलकूट की दुकानों से बाजार पट गया है। शहर के बाजारों में रविवार को लोगों ने चिउरा, गुड़ समेत अन्य सामग्रियों की जमकर खरीदारी हुई। बाजारों में इस बार पर्व के मद्देनजर रंग-बिरंगे पतंग की दुकानें भी सजी हैं।
खिचड़ी का पर्व पूरे देश के साथ ही जिले में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह गंगा स्नान के बाद दिन में आम तौर पर दही, चिउरा व शाम में खिचड़ी खाने की परम्परा है। इसके निमित लोग एक दिन पहले से ही बाजारों में चिउरा, गुड़, तिल का लड्डू व तिलकूट आदि का प्रयोग खाने में करते हैं। इसे देखते हुए रविवार को बाजार में काफी रौनक रही। दुकानदार भी बाजार में आयी तेजी से खुश नजर आये।

तिल, मूंगफली, काजू के बने आइटमों की डिमांड:
मकर संक्रांति को लेकर शहर के बाजार सज उठे हैं। तिल, मूंगफली, रामदाना, काजू, किसमिस से बने आइटमों की डिमांड बढ़ गई है। तिल के लड्डू और गजक पसंद पर हावी हैं। शहर के जगह-जगह दुकानें सज गई हैं। तिल की गजक अबकी 240 रुपए किलो से 350 रुपए किलो तक बिक रही है, जबकि तिल बर्फी, लड्डू के दाम अलग-अलग है। मूंगफली, काजूदाना के आइटम भी बाजारों में मौजूद हैं।

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