लखनऊ चिड़ियाघर में वन्य जीवों को ठंड से बचाने के लिए किये गये विशेष इंतजाम
लखनऊ। वन्य जीवों को सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाने के लिए प्राणि उद्यान द्वारा सभी आवश्यक इन्तजाम उपाय कर दिये गये हैं। वन्य जीव आराम से बैठ सकें, लेट सकें एवं सो सकें, इसके लिए जमीन पर पुआल-घास एवं लकड़ी के तख्ते बिछा दिये गये हैं। छत से ओस एवं ठण्डी हवाओं से बचाव के लिए बाड़ों पर आवश्यकतानुसार चिक, शीट तथा चटाई लगायी गयी है। इसके लगाने से बाड़ों के अंदर विषेशकर पक्षी बाड़ों में छतों पर शीट एवं चटाई लगायी गयी है। ठण्डी एवं सर्द हवाओं से बचाने के लिए खिड़कियों में चटाई लगाकर अनेक बाड़ों में रह रहे वन्यजीवों एवं पक्षियों को सर्दी से बचाये जाने के इन्तजाम किए गए है। वन्य जीवों को सर्दी से बचाने के लिए एवं उनके शरीर को मजबूत रखने के लिए धूप अत्यन्त आवश्यक होती है। अत: जिन बाड़ों में धूप की आवश्यकता थी उन बाड़ों में पेड़ों की शाखाओं की छटाई इस तरह से करायी गयी है कि वन्य जीवों को पर्याप्त मात्रा में धूप मिल सके। बाड़ों को गर्म रखने के लिए उनमें हीटर लगाया गया है। यह हीटर सांप घर, उल्लू घर, मछली घर, शेर, व्हाइट टाइगर, लॉयन टेल बन्दर, चिम्पान्जी इत्यादि में लगाये गये हैं। चिम्पान्जी को कम्बल भी दिया गया है, यदाकदा वह कम्बल ओढ़कर बाहर भी बैठा रहता है। वन्य जीवों के षरीर को गर्मी देने तथा उनकी सर्दियों में कैलोरी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए खाने की खुराक बढ़ा दी गयी है। इसके अतिरिक्त अनके वन्य जीवों को सर्दी में अण्डा दिया जा रहा है जिनमें मुख्यत: शुतुरमुर्ग, एमू, गोल्डेन-यलो मकाऊ, चिम्पान्जी, लॉयन टेल मंकी आदि हैं। शाकाहारी वन्य जीवों को गर्मी देने वाले पदार्थ यथा सीजनल साक-सब्जी, फल एवं फली तथा हरे चारे आदि की मात्रा बढ़ा दी गयी है। पानी में रहने वाले जलीय जीव हिप्पो, घड़ियाल, मगरमच्छ आदि को सर्दी से बचाने के लिए इनके बाड़ों में निरन्तर ताजा पानी चलाया जाता है। इन उपायों से वन्य जीवों को ठण्ड से बचाने का पूरा इन्तजाम प्राणि उद्यान प्रशासन द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त डाक्टरों एवं कीपरों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है एवं वन्य जीवों को खाने के साथ विटामिन्स तथा मिनिरल्स आदि की अतिरिक्त मात्रा भी दी जा रही है।
सर्दियों में बदला जानवरों का खानपान
सर्दी में दो महीने तक चिड़ियाघर के मगरमच्छ, घड़ियाल व सांप उपवास पर रहेंगे। इस दौरान उन्हें भोजन नहीं दिया जाएगा। अन्य जानवरों के खाने में सरसों की खरी, मूंगफली का छिलका, गुड़, अंडा व तेल की मात्रा बढ़ाई जाएगी। सर्दी को देखते हुए चिड़ियाघर के जानवरों को सर्दी से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। पशु चिकित्सकों के मुताबिक, परिसर में एक हजार से अधिक जानवर रहते हैं। सभी की खुराक अलग-अलग है। चिड़ियाघर की निदेशक अदिति सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में जानवरों की खुराक में बदलाव होता है।
तापमान गिरने पर सुस्त अवस्था में रहते हैं जानवर
मगरमच्छ, घड़ियाल व सांप ऐसे जंतु हैं सर्दी में जिन्हें नाम मात्र आहार दिया जाता है। मगरमच्छ व घड़ियाल तापमान गिरने पर सुस्त हो जाते हैं। साथ ही भोजन करना भी बंद कर देते हैं। सर्दी के समय गैस्ट्रोलिथ नामक छोटे-छोटे पत्थर निगलते रहते हैं। ये पत्थर उनके पेट के पहले भाग में रहता है। सुस्त होने की अवस्था में उसी माध्यम से ऊर्जा का संचार करते हैं।
पेड़ की शाखाएं छाटी गईं
लखनऊ जू की निदेशक ने बताया कि सर्दी में जू प्रशासन ने कई इंतजाम किए हैं। वन्य जीव आराम से उठ बैठ सकें इसके लिए जमीन पर पुआल घास व लकड़ी के तख्ते बिछाए गए हैं। छत से ओस व ठंडी हवाओं से बचाव के लिए बाड़ों पर चिक, शीट व चटाई लगाई गई है। पक्षी बाड़ों में छतों पर शीट व चटाई लगाई गई है जिससे वे ठंडी हवाओं से बच सकें। वन्य जीवों को सर्दी से बचाने के लिए एवं उनके शरीर को मजबूत रखने के लिए धूप की जरूरत को देखते हुए बाड़ों में पेड़ों की शाखाओं की छटाई की गई है। बाड़ों को गर्म रखने के लिए उनमें हीटर लगाया गया है।
सांप व मछली घर में लगा हीटर
जू के निदेशक ने बताया कि यह हीटर सांप घर, उल्लू घर, मछली घर, शेर, व्हाइट टाइगर, लॉयन टेल बंदर, चिंपान्जी के बाड़े में लगाए गए हैं। चिंपान्जी को कंबल भी दिया गया है। खानपान में भी बदलाव किया गया है। खाने की खुराक बढ़ाई गई है। शुतुरमुर्ग, एमू, गोल्डेन-यलो मकाऊ, चिंपान्जी, लॉयन टेल मंकी को सर्दी में अंडा दिया जा रहा है।
हरे चारे की मात्रा बढ़ाई गई
शाकाहारी वन्य जीवों को गर्मी देने वाले पदार्थ व सीजनल साक-सब्जी, फल एवं फली व हरे चारे की मात्रा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा डाक्टर व कीपर भी लगातार जीवों की निगरानी कर रहे हैं। वन्य जीवों को खाने के साथ विटामिन्स व मिनिरल्स भी दिए जा रहे हैं।
जानवरों की खुराक के हिसाब बढ़ाया भोजन
ठंड में मांसाहारी जानवरों की खुराक भी बढ़ जाती है। इस कारण शेर और बाघ को अब प्रतिदिन 12 किलो के बजाय 14 किलो मांस परोसा जा रहा है। तेंदुआ और लकड़बग्घा की खुराक को भी बढ़ाकर 5 किलो कर दिया गया है। इसी तरह, सियार को 1.5 किलो और लोमड़ी को 1 किलो मांस दिया जा रहा है।चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि ठंड में ऊर्जा की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए जानवरों का भोजन बढ़ा दिया गया है।
भालू के लिए शहद, सांप का भोजन हुआ कम
इस मौसम में भालुओं के भोजन में शहद को शामिल किया गया है, जो उन्हें ऊर्जा और गर्माहट देता है। दूसरी ओर सरीसृपों जैसे सांप, मगरमच्छ और घड़ियाल का भोजन कम कर दिया गया है, क्योंकि ठंड में उनके शरीर का तापमान घट जाता है और वे कम सक्रिय रहते हैं। सांपों और अजगरों को अब महीने में सिर्फ एक बार चूहा और खरगोश दिया जाएगा, जबकि मगरमच्छों को सप्ताह में सिर्फ एक बार जीवित मछलियां दी जाएंगी।
शाकाहारी जानवरों के लिए भी खास इंतजाम
शाकाहारी जानवरों के लिए खास आहार चिड़ियाघर में गैंडे और शाकाहारी जानवरों के भोजन में भी खास परिवर्तन किए गए हैं। गैंडे को अब शकरकंद, गन्ना और बरसीम जैसी ऊजार्वान चीजें दी जा रही हैं, जबकि हिरनों के भोजन में गुड़ शामिल किया गया है, जिससे उनकी प्रतिरक्षा शक्ति बढ़े। पक्षियों के भोजन में दाने की मात्रा बढ़ाई गई है, लेकिन पानी की मात्रा में कमी की गई है, ताकि वे ठंड में कम प्यास महसूस करें।
चिड़ियाघर प्रशासन का उद्देश्य मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि जानवरों की भोजन जरूरतों में मौसम के अनुसार परिवर्तन किया गया है ताकि उन्हें ठंड से बचाव और अतिरिक्त पोषण मिल सके। गर्मी और बरसात के मौसम में सप्लीमेंट दिए जाते हैं, जबकि ठंड में भोजन की मात्रा बढ़ाकर ही जानवरों की जरूरतें पूरी की जा रही हैं। इस तरह गोरखपुर का चिड़ियाघर, बदलते मौसम के अनुसार जानवरों की खास देखभाल और खान-पान के माध्यम से उन्हें स्वस्थ रखने की कोशिश में जुटा है।