कला की परिवर्तनकारी शक्ति का पता लगाने का एक विशेष अवसर प्रदान किया
लखनऊ। आज लखनऊ के फीनिक्स पलस्सियो मॉल में 15 दिवसीय (9 से 23 फरवरी 2025) लखनऊ समकालीन भारतीय कला मेला (उकअऋ-25) जिसे फिक्की फ्लो और फ़्लोरेसेंस आर्ट गैलरी द्वारा प्रस्तुत किया गया, कला प्रेमियों, निवेशकों और सांस्कृतिक अधिवक्ताओं के लिए एक अनूठा और समृद्ध अनुभव था। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न पहलुओं में कला की परिवर्तनकारी शक्ति का पता लगाने का एक विशेष अवसर प्रदान किया गया।
इस विशेष कला सत्र में महत्वपूर्ण चर्चाएं शामिल थीं, जिसमें निवेश के रूप में कला शामिल थी, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि रचनात्मकता एक मूल्यवान संपत्ति कैसे बन सकती है; सीमाओं से परे कला, जिसमें यह पता लगाया गया कि कला मेट्रो शहरों से परे कैसे पहुँचती है और समुदायों को छूती है,खुदरा कला क्रांति, जिसमें छोटे कला मेलों के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया गया और कला की आर्थिक शक्ति जिसमें यह दशार्या गया कि कला कैसे बाजारों को बढ़ावा देती है और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाती है। इसके अतिरिक्त सत्र में रचनात्मक कूटनीति पर चर्चा की गई, जिसमें दिखाया गया कि कला किस तरह से सॉफ्ट पावर के माध्यम से समावेश और प्रगति को बढ़ावा देती है।
प्रतिष्ठित अतिथि वक्ताओं जिसमे नई दिल्ली के एक शोध विद्वान और क्यूरेटर विकास नंद कुमार और एक प्रख्यात कलाकार और शिक्षक प्रो. जय कृष्ण अग्रवाल की व्यावहारिक बातचीत के अलावा आज की शाम ने सभी उपस्थित लोगों को प्रेरित और प्रबुद्ध किया। विक्की फ्लोर लखनऊ चैप्टर की चेयरपर्सन ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लखनऊ को कला के जीवंत प्रभाव से सशक्त बनाना और उसके अंतर को पाटना और स्थानीय तथा वैश्विक संदर्भों में कला की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण बातचीत को बढ़ावा देना है। फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की संस्थापक और निदेशक नेहा सिंह ने बताया कि यह एक ऐसी शाम थी जो कला प्रेमियों के लिए थी और जिसमें कला की हमारी दुनिया को आकार देने की क्षमता के बारे में बताया गया। इस अवसर पर सिमरन साहनी, रश्मि अग्रवाल, वनिता यादव, अनुपमा भाटिया सहित शहर के कई प्रतिष्ठित गणमान्य लोग उपस्थित थे।