महाकुंभ में कविता का मंच न सजने से साहित्यकार आहत

कवियों को अत्यंत महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त होना चाहिये
लखनऊ। प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में इस वर्ष कविता का मंच न बनने और कवियों की उपेक्षा से उत्तर प्रदेश साहित्य सभा ने दुख व्यक्त किया है। सभा के प्रधान संयोजक वरिष्ठ कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा कि साहित्य और कविता किसी भी देश की आत्मा की पहचान होते हैं। भारत वर्ष तो साहित्य और कविता का देश है। कवियों को अत्यंत महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त होना चाहिये। सर्वेश अस्थाना ने कवियों की उपेक्षा और साहित्य के प्रति महाकुंभ आयोजकों की उदासीनता पर क्षोभ भी व्यक्त किया है। सर्वेश अस्थाना ने दुख जताते हुए कहा कि इस महाकुंभ में लाखों रुपये खर्च करके फिल्मी गायकों और अन्य कलाकारों को आमन्त्रित किया जा सकता है तो कवियों के लिए एक मंच क्यों नही बनाया जा सकता। कविता तो देश की संस्कृति की ध्वजावाहक और प्रचारक होती है। प्रदेश में साहित्य और कविता के लिये अलग विभाग और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, हिंदुस्तानी अकेडमी जैसी अनेक संस्थान हैं। हास्यकवि ने कहा है, इस विषय मे वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का भरसक प्रयत्न कर उनके सम्मुख कवियों की पीड़ा रखेंगे।

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