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छाप तिलक सब छीनी कि मोसे नैना मिलाय के…
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मालिनी अवस्थी की गायिकी ने श्रोताओं को तर-बतर किया
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लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह
लखनऊ। आवाज उसने दी है, साज मुंझे देना है… तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जब पद्मश्री गायिका मालिनी अवस्थी ने अपनी खनकती हुई आवाज में ‘बाजत अवध घर बधाइयां सोहर को सुनाया तो श्रोता झूम उठे। मौका था आज देर शाम लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रागंण में लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के शताब्दी समारोह का। अवध की रौशनी को बिखरेते हुए उन्होंने माहौल को राममय बना दिया। मालिनी अवस्थी ने अपनी अगली प्रस्तुतियों में सीता जी के महत्व को कुछ इस तरह रेखांकित किया ‘सीता बनी दुल्हन दूल्हा रघुराई, उनकी यह प्रस्तुति श्रोताओं के मन मस्तिष्क को प्रभावित कर गई।
भक्ति भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त मालिनी अवस्थी ने अपनी खनकती हुई आवाज में अमीर खुसरो के सूफियाने रंग से श्रोताओं को खूब तर-बतर किया, उनके गाये कलाम की पंक्तियां थीं छाप तिलक सब छीनी कि मोसे नैना मिलाय के… मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त मालिनी अवस्थी ने अपनी गायिकी के अगले सोपानों में एक पिता और विवाह करने जा रही लड़की के दर्द को कुछ अंदाज में बयां किया…’काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे काहे को ब्याहे बिदेस भैया को दियो बाबुल महले दो-महले हमको दियो परदेस अरे, लखिय बाबुल मोरे काहे को ब्याहे बिदेस, उनकी यह प्रस्तुति समारोह में उपस्थित युवतियों की आंखों को नम कर गई। इसके अलावा मालिनी ने ‘मंगल भवन अमंगल हारी को सुनाकर लोगों को भाव-विभोर कर दिया।
मालिनी अवस्थी ने अवधी शैली में गायन प्रस्तुति दी जिसमे से कुछ उल्लखेनीय हैं केसरिया बालमा मोरी बनरारे बनी… सैया मिले लरकईयां मैं का करूं। इसके अलावा उन्होंने बेगम अख्तर द्वारा गाये कुछ कालजयी नग्मे का प्रस्तुतीकरण किया जिसमे उल्लेखनीय रहे हमरी अटरिया पर…, ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया। बेगम अख्तर के जीवन के बारे में यतीन्द्र मिश्रा और मालिनी अवस्थी ने प्रकाश भी डाला। तलत मेहमूद, रौशन साहब के गीतों की बानगी भी प्रस्तुत की।
मालिनी अवस्थी ने बॉलीवुड में गाये गए कुछ अवध से सम्बंधित कुछ यशस्वी गीतकारों-संगीतकारों की लोकप्रिय रचनाएं सुनाई जिसमे नौशाद साहब द्वारा रचा गया मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गया रे, तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे रहे। इसके अलावा नजर लागी राजा तोहरे बंगले में जैसी मनोरंजक प्रस्तुति मालनी अवस्थी ने दिया। इसके अलावा मालिनी ने देर रात तक श्रोताओं को अवध की सुरमयी संगीत सरिता में ऐसा डुबोया कि गुलाबी सर्द शाम कब गहरी अंधेरी रात में तब्दील हो गई लोगों को इसका भान भी न हुआ।