लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीट पर 28 जनवरी को होने वाले मतदान से पहले सोमवार को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गयी है। इसी के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। इसके साथ ही एक बार फिर चुनावी बिगुल बज गया है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर देखे तो 12 में से 11 सीट पर भाजपा की जीत तय है जबकि एक पर समाजवादी पार्टी जीत सकती है।
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार में विधान परिषद की 12 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया सोमवार को शुरू होने के साथ 18 जनवरी तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 19 को होगी। इसके बाद नाम वापसी की अंतिम तिथि 21 जनवरी है। निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी को होने वाले मतदान को लेकर अपनी तैयारी पूरी पर ली है।
विधान परिषद सदस्य जिनका कार्यकाल 30 जनवरी को खत्म हो रहा है उनमे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, समाजवादी पार्टी के अहमद हसन, जो नेता ऊपरी सदन में नेता बिपक्ष भी है, साहब सिंह सैनी, आशु मलिक, परिषद के मौजूदा सभापति रमेश यादव, राम जतन व वीरेंद्र सिंह और बहुजन समाज पार्टी के धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव और नसीमुद्दीन सिद्दीकी शामिल हैं। इसमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से उच्च सदन गये थे, लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता पिछले साल ही निरस्त कर दी गयी थी।
अगर विधानसभा में संख्या बल के अनुसार देखें तो 310 सीटों के साथ सत्ता में काबिज भाजपा के 10 प्रत्याशी बहुत आसानी से जीत जायेंगे। इसके अलावा अधिमानी मतदान में पार्टी अपने एक और प्रत्याशी जितवा पाने की स्थिति में है। वहीँ सपा सिर्फ एक सीट जीत पाने की स्थिति में है। इस तरह देखें तो सपा को पांच सीटों का नुकसान होगा। बसपा को तो पूरा दो सीटों का नुकसान है, क्योंकि पार्टी के पास एक भी सीट जीतने के लायक संख्या विधानसभा में नहीं है। सत्ता पर काबिज भाजपा 12 सीट पर सबसे ज़्यादा फायदे में रहेगी। परिषद की जो 12 सीटें खाली हो रही हैं, उनमें छह समाजवादी पार्टी की, तीन भारतीय जनता पार्टी और दो बहुजन समाज पार्टी की हैं।
भाजपा की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का जाना तो तय है, लेकिन बाकी प्रत्याशियों के नामों पर अभी मंथन चल रहा है। सूत्रों के अनुसार कुछ लोगों के नाम तय किये गये हैं और सूची मंगलवार को केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र पार्टी सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर अपनी रणनीति बनाएगी। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा की ओर से कई चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।
सपा के जिन छह सदस्यों का कार्यकाल 30 जनवरी को पूरा हो रहा है, उनमे पार्टी वरिष्ठता के आधार पर परिषद में पार्टी के नेता अहमद हसन को फिर से उच्च सदन भेज सकती है। चुनाव के बाद अगर विधान परिषद की स्थिति देखें तो सपा के 50, भाजपा के 36, बसपा के 6, कांग्रेस के 2, अपना दल व शिक्षक दल के 1-1, निर्दलीय समूह के 2 और तीन निर्दलीय सदस्य होंगे।