स्वस्तिवाचन के समय पंडितों द्वारा मन्त्रोचार एवम शंखध्वनि हुई
लखनऊ। श्रीमद्भगवत गीता मानस स्वाध्याय मंडल के तत्वावधान में व्याख्यान माला का आयोजन हुआ। जिसका विषय सनातन के लिए संगठन था। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती, भारत माँ व रथारूढ़ अर्जुन को उपदेश करते हुए भगवान कृष्ण के प्रतिमाओं पर माल्यर्पण से कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। स्वस्तिवाचन के समय पंडितों द्वारा मन्त्रोचार एवम शंखध्वनि हुई। वरिष्ठ साहित्यकार डा. जय प्रकाश तिवारी ने सरस्वती माँ की वन्दना प्रस्तुत की। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की गतिविधि धर्म जागरण समन्वय के अवध प्रान्त के संयोजक आनन्द मूर्ति ने मंचस्थ महानुभावों एवं सम्भ्रान्त श्रोताओं का स्वागत किया श्रीमद्भगवद्गीता मानस स्वाध्याय मंडल के आचार्य केशरी प्रसाद शुक्ल ने विषय प्रवर्तन किया। इस अवसर पर पूर्व पार्षद राम कुमार वर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए हर तरह से सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वाध्याय मंडल: के अध्यक्ष काशी प्रसाद शुक्ल ने किया। इस महत्वपूर्ण विचारणीय विषय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचार मैं एक स्वांत रंजन अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख ने उदगार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि धर्म परक जीवन यापन करना, 3000 वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध के तीन रत्न, बुधं शरणं गच्छामि, धर्मा शरणं गच्छामि, संघम शरणं गच्छामि तथा पंचशील के सिद्धान्तों के आध्यम से समझ-समाज, संस्कृति-जीवन एवं धर्म, अर्थ, काम मोक्ष तथा शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ अखाड़े व खालसा परंपरा के माध्यम से संगठन के महत्व पर अपना प्रकाश डाला। नहि वेरेन वेरानि, सम्मंतीध कुदाचन । अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तना ।।अर्थात वैर से कभी वैर शान्त नहीं होता, अवैर से स्नेह, रोम से ही शांत होता है, यही सनातन धर्म की पहचान है इस पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमान काशी प्रसाद शुक्ला जो की स्वाध्याय मंडल के अध्यक्ष हैं उनके द्वारा किया गया तथा मंच का संचालन सुरेश कुमार मिश्रा संयोजन द्वारा किया गया।