भातखण्डे के कलामंडपम प्रेक्षागृह में राग व बंदिश पर हुई चर्चा
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के कलामंडपम प्रेक्षागृह में गायन विभाग द्वारा रागों और बंदिशों के सौंदर्य तथा उनके प्रस्तुतीकरण पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। उक्त व्याख्यान हेतु किराना घराने की टॉप ग्रेड कलाकार विदुषी उमा गर्ग जी को आमंत्रित किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने पुष्पगुच्छ भेंट कर विदुषी उमा गर्ग का स्वागत एवं अभिनंदन किया। गायन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सृष्टि माथुर ने उनका स्वागत उद्बोधन करते हुए परिचय दिया और विद्यार्थियों को इस व्याख्यान की महत्ता के बारे में समझाया। विदुषी उमा गर्ग जी ने अपने व्याख्यान का विषय ‘राग’ को चुना और किसी भी राग के नियमों के अनुसार उसकी विधिवत बढ़त कैसे की जाती है यह राग शुद्ध सारंग के माध्यम से विद्यार्थियों को समझाया। उन्होंने विभिन्न गायन शैलियों में कंठ की महत्ता को समझाते हुए राग मिश्र खमाज में एक ठुमरी की भी प्रस्तुति दी। व्याख्यान के अंत में उन्होंने छात्र-छात्राओं की जिज्ञासा का समाधान करते हुए रियाज, गले की तैयारी, राग का बर्ताव, विभिन्न गायन शैलियों में आवाज का लगाव आदि से संबंधित प्रश्नों के उत्तर भी दिए। कार्यक्रम में गायन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सृष्टि माथुर, वाद्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. सीमा भारद्वाज, डॉ. रंजना द्विवेदी, सभी शिक्षक एवं विद्यार्थीगण मौजूद थे। विदुषी उमा गर्ग के साथ तबले पर संगत सौरभ सिंह ने की और हारमोनियम पर संगत दिनकर द्विवेदी ने की। इसके पूर्व सत्र में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के सुजान सभागार में आयोजित त्रिदिवसीय पाश्चात्य संगीत की कार्यशाला का आज द्वितीय दिवस था जिसमें पहले दिन की ही भाँति विश्वविद्यालय के विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया। विशेषज्ञ ऋषिकांत शुक्ला ने पाश्चात्य स्केल एवं स्वर सप्तकों के बारे में विस्तारपूर्वक विद्यार्थियों को समझाया और पाश्चात्य संगीत से जुड़ी उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।