महंत पंडित विनोदानंद शास्त्री जी महाराज ने दिया संदेश कि सच्ची शक्ति अहंकार में नहीं, बल्कि धर्म, विनम्रता और सद्गुणों में होती है।
कमता स्थित शंकरपुरी कालोनी में 25 दिसम्बर तक हो रहा है एकादश श्रीमद् भागवत कथा, कमता महोत्सव एवं 21 कुंडीय ज्ञान यज्ञ एवं भण्डारे का आयोजन
लखनऊ। एकादश श्रीमद् भागवत कथा, कमता महोत्सव एवं 21 कुंडीय ज्ञान यज्ञ एवं भण्डारे का आयोजन 25 दिसम्बर तक कमता स्थित शंकरपुरी कालोनी में किया जा रहा है। इसमें महंत पंडित विनोदानंद शास्त्री जी महाराज ने शुक्रवार 19 दिसम्बर को संदेश दिया कि सच्ची शक्ति अहंकार में नहीं, बल्कि धर्म, विनम्रता और सद्गुणों में होती है। सीता स्वयंवर के प्रसंग में जहां विवाहोत्सव का उल्लास दिखा वहीं राम वन गमन में भक्तों की आंखें भर आयीं। आचार्य देवकीनंदन मिश्रा के संयोजन में हो रहे इस वार्षिक 11वें महा अनुष्ठान में आगंतुक सौभाग्यशाली भक्तों ने सरस भजनों का भी आनंद लिया। झुक जइयों तनिक रघुवीर लली मेरी छोटी सी और देख कर रामजी को जनक नंदिनी जैसे कई रसीले भजनों पर बच्चों से लेकर वरिष्ठ जन तक झूम उठे। इस कथा का आयोजन दोपहर 3 से रात आठ बजे तक किया जा रहा है। शुक्रवार को कथा का आरंभ मंत्रोच्चार से हुआ। उसके उपरांत आवाहन, षोडशोपचार पूजन, आरती, भजन कीर्तन किया गया। केन्द्रीय आकर्षण श्रीमद् भागवत कथा में महंत पंडित विनोदानंद शास्त्री महाराज ने सीता स्वयंवर के प्रसंग की व्याख्या विस्तार से की। उन्होंने बताया कि यह प्रसंग राम और सीता के पवित्र और दैवीय मिलन का प्रतीक है जो दशार्ता है कि सच्ची शक्ति अहंकार में नहीं, बल्कि धर्म, विनम्रता और सद्गुणों में होती है। वास्तव में सीता स्वयंवर धर्म की स्थापना का प्रतीक है। इसी क्रम में उन्होंने राम वन गमन का प्रसंग भी सुनाया। इसके माध्यम से उन्होंने संदेश दिया गया कि वास्तव में राम वन गमन कर्तव्यनिष्ठा, वचनबद्धता, त्याग और संघर्ष का संदेश देती है। यह घटना हिंदू धर्म में नैतिकता और आदर्श पुत्र के रूप में भगवान राम के चरित्र को दशार्ती है।





