“अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” में मिलेगी कुल्हड़ चाट और फर्रुखाबादी नमकीन

  • दिखेगी भित्ति चित्रों में फिरोजाबादी शीशों की कलाकारी

लखनऊ। जनजाति विकास विभाग उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा लोक नायक बिरसा मुण्डा की जयंती “जनजातीय गौरव दिवस” के अवसर पर आयोजित “अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” की शुरुआत 15 नवम्बर से हो रही है। संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि “अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” में प्रतिदिन शाम पांच से रात नौ बजे तक सतरंगी कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही 15 से 18 नवम्बर तक स्लोवाकिया और वियतनाम के लोक कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां भी होंगी इस उत्सव में प्रतिदिन चाय चौपाल, कुल्हड़ चाट, भुने आलू, फर्रुखाबादी नमकीन का आनन्द उठाया जा सकेगा। “अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” के अनुरूप परिसर को भी पारंपरिक ग्रामीण शैली से अलंकृत किया जा रहा है।

इस उत्सव परिसर की आंतरिक सज्जा, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से आईं मनीषा ठाकुर संभाल रही हैं। वह पराली और टाट के बोरे से स्टॉल्स सजा रही हैं। बताते चले कि वह मिट्टी, गोबर, गौमूत्र, भूसा, नीम का पानी और हल्दी के मिश्रण से पारंपरिक मिट्टी के घर बनाने में महारत हासिल कर चुकी हैं। उनके अनुसार भट्टी के बजाए धूप में पकने और चूना मसाले के कारण ऐसे मिट्टी के पारंपरिक घरों की आयु साठ साल तक होती है। कम खर्च में तैयार होने के साथ-साथ यह घर तापमान भी नियंत्रित रखते हैं।

इसके साथ ही परिसर के प्रवेश मार्ग पर दीवारों और मंच पर गेरुआ और सफेद रंग से पारंपरिक चित्रकारी करने के लिए खासतौर से फिरोजाबाद से संतोष सिंह जादौन आए हैं। साल 2019 में आयोजित कुंभ में उन्हें राज्य ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता में सम्मानित भी किया जा चुका है। आज भी उनकी दो साधुओं वाली पेंटिंग अकादमी संग्रह में है। श्री वार्ष्णेय कॉलेज, अलीगढ़ से परास्नातक, संतोष इस परिसर की सज्जा, वर्ली आर्ट और ग्रामीण चित्रकारी से कर रहे हैं। मंच पर जहां ग्रामीण वृद्धजन को उकेरा जा रहा है वहीं भित्तिचित्र उकेरती महिलाओं को भी दर्शाने का प्रयास किया जाएगा।

दूसरी ओर उत्सव के प्रवेश मार्ग पर बनी ट्रेडिशनल आर्ट वॉल पर दरवाजे खिड़की, ओखले के साथ-साथ जो भित्ति चित्र उकेरे जाएंगे उनमें खासतौर से फिरोजाबादी शैली में शीशों की सजावट भी की जाएगी। इसे मणिकुट्टम शैली की कलाकारी कहा जाता है। विनोद वर्मा इस सजावट में उनका साथ दे रहे हैं। इसमें संतोष एक्रेलिक रंगों का प्रयोग कर रहे हैं। मुख्य रूप से गेरुआ और पिसे चावल के सफेद जैसे रंगों का प्रयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही आवश्यकता के अनुरूप सतरंगी चित्रकारी भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से वर्तमान में वह आगरा मंडल में टीचिंग लर्निंग मटेरियल तैयार कर रहे हैं।

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