चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र देव की भी पूजा की जाती है
लखनऊ। मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। हर चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, इसलिए इस दिन भी विधि-विधान से बप्पा की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन में व्याप्त सभी संकट दूर होते हैं। यह चतुर्थी कृष्ण पक्ष में पड़ती है, इसलिए इसे कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार को पड़ रही है। इस तरह कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी 25 जून 2024 को मनाई जाएगी। कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी की तिथि 25 जून 2024 को रात 1:23 से प्रारंभ होगी, जो रात 11:10 तक रहेगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 5:30 से 7:08 तक रहेगा। वहीं, शाम में 5:36 से रात 8:36 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस तिथि पर भगवान गणेश की विशेष पूजा करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। यह महत्वपूर्ण होती है। रात के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है और इसके बाद व्रत खोला जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 11:27 पर होगा।
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का महत्व
धर्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह में भगवान गणेश की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के विघ्न और दुखो का नाश होता है, व्यक्ति को जीवन में सुखो की प्राप्ति होती है और घर सुख, समृद्धि से भर जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से जातक के सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों का नाश हो जाता है।
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर व्रत का संकल्प करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। भगवान को हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं। चावल और फूल चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं। बप्पा को मोदक, मिठाई और फल का भोग लगाएं। भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।