लखनऊ। खरमास को धनु संक्रांति भी कहा जाता है। खरमास उस अवधि को दर्शाता है जब सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करते हैं। इस अवधि में धार्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा करना विशेष रूप से शुभ और फलदायी होता है। खरमास की शुरूआत रविवार, 15 दिसंबर 2024 को हुई थी, और इसका समापन मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन हो गया। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन के बाद से सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरूआत की जा सकती है। सूर्य देव को जल अर्पित करें: खरमास में प्रतिदिन सूर्य देव को जल चढ़ाना अत्यधिक लाभकारी माना गया है। दान-पुण्य करें: इस अवधि में दान का विशेष महत्व है। गुड़, मूंगफली, गर्म कपड़े, कंबल आदि का दान करना पुण्यकारी होता है।सकारात्मक कर्मों पर ध्यान दें: इस समय के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचने और अच्छे कर्मों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है।
इस साल विवाह के होंगे 75 शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में विवाह को 16 प्रमुख संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि इसका असर हमारे जीवन के साथ-साथ उस कार्य पर भी पड़ता है। ज्योतिषार्यों के अनुसार, साल 2025 में शादियों के शुभ मुहूर्त की भरमार है। इस साल जनवरी से लेकर दिसंबर तक खूब शहनाइयां बजेंगी। जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है, क्योंकि जून में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। वहीं, नवंबर और दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त बहुत कम मिलेंगे। किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले उनका शुभ मुहूर्त बेहद जरूरी होती है। विवाह के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसका असर हमारे जीवन के साथ-साथ उस कार्य पर भी पड़ता है। पुरोहित पंकज कुमार पांडेय के अनुसार इस साल करीब 75 विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
खरमास के बाद व्यवसाय में आयेगी तेजी
खरमास के कारण प्राय सभी व्यवसाय ठप से पड़ गये हैं। अब जब खरमास समाप्त होगा और विविध मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ आदि वृहद स्तर से शुरू होंगे तो बाजार में भी तेजी आयेगी। वैसे भी खरमास के बाद बाजार की सुस्ती-मंदी दूर होती है। जनवरी, फरवरी में विवाह के मुहूत अधिक रहने से कई वैवाहिक कार्यक्रम इस दौरान होंगे। इससे बाजार में खरीददारी करने को लोग आयेंगे। इससे कपड़ा, किराना, ज्वेलर्स, टेंट, कैटरिंग, होटल, मैरिज हॉल, बैंड, डीजे, लाईटिंग आदि का व्यवसाय हो सकेगा। जनवरी-फरवरी के विवाह को लेकर शहर के मैरिज हॉल, होटल, धर्मशाला, कैटरिंग, रसोईया आदि की बुकिंग पहले से की गई है। विभिन्न सूत्रों के अनुसार, जनवरी व फरवरी में शहर में कोई डेढ़ दर्जन विवाह होंगे। जिसमें कुछ मैरिज हॉल, होटल आदि में तो कुछ विवाहिक कार्यक्रम अपने घरों में करायेंगे।
विवाह की शुभ तिथि व मुहूर्त:
जनवरी- 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 26, 27
फरवरी- 2, 3, 6, 7, 12, 13, 14, 15, 16, 18, 19, 21, 23, 25
मार्च -1, 2, 6, 7, 12
अप्रैल-14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30
मई- 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28
जून-2, 4, 5, 7, 8
नवंबर- 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25, 30
दिसंबर- 4, 5, 6
खरमास के बाद किए जाने वाले कार्य
खरमास समाप्त होने के बाद धार्मिक और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि आरंभ किए जा सकते हैं। इसके साथ ही नया वाहन, प्रॉपर्टी खरीदने और व्यवसाय शुरू करने जैसे कार्य भी शुभ माने जाते हैं।
सूर्य देव की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल और रोली मिलाएं। पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय सूर्य की किरणों को ध्यान से देखते रहें। इस प्रक्रिया के दौरान ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। इन उपायों और पूजा पद्धति को अपनाकर खरमास के दौरान भी शुभ ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। मकर संक्रांति के साथ शुभ कार्यों की शुरूआत कर जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हुआ जा सकता है।