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करवा चौथ : सास को सरगी देने से मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

लखनऊ। उत्तर भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में से करवा चौथ प्रमुख त्योहार है । इस बार करवाचौथ व्रत 10 अक्टूबर को है। करवाचौथ के दिन विवाहित स्त्रियां पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से पति की उम्र बढ़ती है और वैवाहिक जीवन भी मधुर होता है। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिक जी के साथ करवा माता और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना करवा चौथ का व्रत नहीं टूटता। साथ ही करवा चौथ के दिन अपनी सास को ये चीजें गिफ्ट करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप अपनी सास को ये चीजें देते हैं तो आपको अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है।

करवा चौथ की शुरूआत लगभग सरगी से होती है। सरगी सूर्योदय के समय ब्रह्म मुहूर्त में खाई जाती है। सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी में मिठाई, सेवइयां, सूखे मेवे और फल परोसे जाते हैं। इसके अलावा सरगी में शादी का सामान उपहार में देने की भी परंपरा है। यह दुल्हन को अपनी सास को कुछ देने का भी विधान है। करवा चौथ के दिन दुल्हन को अपनी सास को ये चीजें देकर आशीर्वाद लेना चाहिए। आपको बता दें कि करवा चौथ के दिन पूजा के लिए मिट्टी के करवे का इस्तेमाल किया जाता है। मिट्टी के करवा के अलावा मीठा करवा भी होता है, जिसे खांड करवा भी कहा जाता है। मीठी करवा में सूखे मेवे भी होते हैं। करवा चौथ के दिन सास को शगुन के तौर पर मीठा करवा, कपड़े, शादी का सामान और कुछ पैसे उपहार में दिए जाते हैं। इसके अलावा, दुल्हनें करवा चौथ के दिन अपनी सास को पायल, हार और कंगना जैसे सोने और चांदी के गहने उपहार में दे सकती हैं। यह सब अपनी सास को उपहार में देना बहुत शुभ माना जाता है। सास को चूड़ियाँ, बिंदी, मेंहदी, काजल आदि सौंदर्य प्रसाधन उपहार में देना भी बहुत सुखद माना जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें की पूजा समाप्त होने के बाद अपनी सास को ये सब चीजें सौंप दें। कहा जाता है कि ऐसा करने से आपको अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलेगा।

सोलह शृंगार के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत
लखनऊ। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व देशभर में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार करवाचौथ व्रत 10 अक्टूबर को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए विशेष श्रृंगार कर निर्जला व्रत करती हैं। इससे पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, अविवाहित लड़कियां भी शीघ्र शादी के लिए व्रत रखती हैं। इससे उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सोलह शृंगार का विशेष महत्व है।

सोलह शृंगार का धार्मिक महत्व:
सिंदूर- सोलह शृंगार में सबसे महत्वपूर्ण सिंदूर को माना जाता है। मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है।
मांगटीका- यह सोना या फिर किसी अन्य का धातु बना होता है। इसे महिलाएं बालों के बीच माथे पर लगाती हैं।
बिंदी- सनातन धर्म में लाल बिंदी को वैवाहिक रिश्ते के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसे माथे पर लगाया जाता है।
गजरा- यह फूलों से बना होता है। इसे बालों के जूड़े और चोटी में पहना जाता है।
काजल- आंखों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए महिलाएं काजल लगाती हैं। इससे बुरी नजर से बचाव होता है।
नथ – नथ को सुहाग की निशानी माना जाता है। इसे किसी शुभ अवसर पर पहना जाता है।
कुंडल- यह सोने और चांदी या फिर अन्य किसी धातु के बने होते हैं। इससे महिलाओं की सुंदरता बढ़ती है।
मंगल सूत्र- शृंगार में मंगलसूत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे सुहाग की निशानी माना जाता है।
बाजूबंद- बाजूबंद को ऊपरी बांह पर पहना जाता है। यह मोती या हीरे से बना होता है।
बिछुआ- इसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता है। यह भी सुहाग का प्रतीक है।
चूड़ियां- सुहागिन महिलाओं के द्वारा चूड़ियों को पहनने से हाथों की शोभा बढ़ती है।
मेहंदी- इसे हाथों और पैरों की खूबसूरती निखारने के लिए लगाया जाता है।
अंगूठी- शादी के दौरान वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।
आलता- यह लाल रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसे सुहागिन महिलाएं पैरों और हाथों पर लगाती हैं। इससे हाथ और पैरों की चमक बढ़ती है।
कमरबंद- कमर के चारों तरफ पहना जाने वाला एक सजावटी बेल्ट को कमरबंद कहा जाता है। यह सोना, चांदी या फिर अन्य धातु का बना होता है।
पायल- इसे दोनों पैरों में पहना जाता है। इसे हिन्दू धर्म में महिलाओं का प्रमुख शृंगार माना जाता है।

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