- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों के खिलाफ एनएसए लगाने के दिये निर्देश
कानपुर। । उत्तर प्रदेश में अपहरण के बाद हत्या का क्रम जारी है। करीब 15 दिन में ही कानपुर तथा गोरखपुर के बाद अब कानपुर देहात में अपहरण के बाद हत्या का मामला सामने आया है। कानपुर देहात के भोगनीपुर से अपहृत बृजेश पाल का शव मंगलवार शाम को दिन में कान्हाखेड़ा के एक सूखे कुएं से बरामद हो गया। माना जा रहा है कि दोस्त ने ही उसे अगवा कर 20 लाख की फिरौती मांगी और हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने उसके दोस्त को पकड़ा जिसके बाद शव यहां पर हत्या कर फेंके जाने की जानकारी मिली।
शव मिलने के बाद से बृजेश के पिता, भाई, मां व बहन बेहाल हैं। यह सभी सभी पुलिस पर लगातार लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं। इसका मानना है कि पुलिस की ही लापरवाही के कारण उनका बेटा मौत के मुंह में चला गया। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना के लिए पुलिस की जवाबदेही तय करने, दोषियों के खिलाफ एनएस के तहत कार्रवाई करने, मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाये जाने के निर्देश दिये। साथ ही पीड़ित परिवार की पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिये जाने की घोषणा की है।
एसपी अनुराग वत्स ने बताया कि चौरा गांव निवासी बृजेश पाल हाइवे किनारे नेशनल धमकांटे पर काम करता था। 15 जुलाई की रात उसका अपहरण हो गया और अगले दिन बृजेश पाल के ही मोबाइल नंबर से घर पर 20 लाख की फिरौती का फोन आया और पांच दिन का समय दिया गया। पुलिस जांच में जुटी लेकिन उसे लोकेशन तक न पता चल सका। अभी तक पुलिस सुराग तलाशती रही और स्वजनों ने रिश्तेदारों से ही मारपीट का आरोप लगाया।
वहीं मंगलवार को बृजेश के एक साथी को पुलिस ने मामले में दबोचा जिसके बाद उसे शव को यहां पर हत्या कर फेंके जाने की बात बताई। चौरा से करीब 6 किलोमीटर दूर कान्हाखेड़ा में कुएं में पुलिस व दमकल कर्मियों ने तलाशी अभियान चलाया। जहां बृजेश का कई दिन पुराना शव निकला। भाई बृजेश व चचेरे भाइयों ने शव की शिनाख्त बृजेश के रूप की। भाई राजेश का आरोप है कि पुलिस लगातार लापरवाही बरतती रही जिसके चलते उनके भाई की जान चली गई।
वहीं पुलिस ने अभी तक हत्या क्यों की गई इसका खुलासा नहीं किया। कानपुर देहात के धर्मकांटा कर्मी बृजेश पाल का 13 दिन पहले अपहरण हो गया था। कानपुर के संजीत यादव के अपहरण की तरह ही 13 दिन तक पुलिस बृजेश पाल के अपहरण में भी हवा में तीर चलाती रही। बृजेश के अपहरण के बाद 20 लाख की फिरौती मांगी गई थी। फिरौती मांगने के बाद भी अपराधी धन मिलने का इंतजार करते रहे जबकि पुलिस देहात जांच के नाम पर हवा में हाथ-पांव चलाने में लगी हुई थी।
बृजेश पाल का अपहरण 15 जुलाई को हुआ था और अगले दिन 20 लाख की फिरौती के लिए बृजेश पाल के ही मोबाइल नंबर से अपहर्ताओं ने फोन किया था। 12 दिन बाद भी बृजेश अपहरण कांड में पुलिस की तहकीकात किसी मुकाम पर नहीं पहुंची तो उसके घर के लोगों ने कहा बेटे की सलामती के लिए घर, खेत व जेवर बेचकर वे 20 लाख फिरौती की रकम दे देंगे, बस बेटा लौट आए। उन्होंने धर्मकां टा मालिक व उसके सहकर्मी पर शक जताते हुए कहा कि पुलिस ने उनसे कड़ाई से पूछताछ नहीं की।
बृजेश पाल का अपहरण पुलिस के कोई ठोस सुराग हासिल न कर पाने से स्वजन हिम्मत हारते जा रहे थे। बेटे की सलामती के लिए किसी भी तरह फिरौती की रकम देने का मन बना चुके है। उनका कहना है कि पुलिस ने सही से जांच नहीं की। बहन आरती व पिता शिवनाथ ने बताया कि धर्मकांटा मालिक व उसके सहकर्मी से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ नहीं की, उन्हें इन लोगों पर भी शक है। घटना के बाद से लगातार दोनों बृजेश पाल के चरित्र पर सवाल उठाकर मामले को किसी और ही दिशा में ले जाना चाह रहे हैं।
इसके अलावा सील हुए धर्मकांटा को भी अब खोल दिया गया है, यहां पर फॉरेंसिक जांच घटना के बाद कराई जानी थी, जिससे कोई फिंगर प्रिंट तो मिलते। सीओ भोगनीपुर को बृजेश का घर तक नहीं पता। बहन अनीता ने कहा कि सीओ गांव वालों से पूछते रहे कि बृजेश का घर कहां है, किसी तरह वह घर के पास पहुंचे भी तो यहां न आकर पास में प्रधान के घर चले गए। वह सवाल करती हैं कि जब सीओ को घर भी नहीं पता तो वह कैसे जांच करेंगे।