कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 को, आधी रात जन्म लेंगे कान्हा

लखनऊ। हर साल भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हालांकि इस बार तिथि को लेकर लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति देखी जा रही है। इस वर्ष अष्टमी तिथि की शुरूआत 15 अगस्त की रात को हो रही है और यह 16 अगस्त को शाम तक रहेगी। वहीं, रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 17 अगस्त की सुबह होगा। परंपरा के अनुसार जब भी अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ न हो, तो व्रत और पूजा उदया तिथि को करना उचित माना जाता है। इसलिए इस बार जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025 को रात 09:34 बजे
रोहिणी नक्षत्र आरंभ: 17 अगस्त 2025 को सुबह 04:38 बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 18 अगस्त 2025 को तड़के 03:17 बजे
चन्द्रोदय का समय: 16 अगस्त को रात 10:46 बजे

जन्माष्टमी व्रत के नियम
इस दिन व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
जन्माष्टमी के दिन उपवासी व्यक्ति अन्न ग्रहण नहीं करता। हालांकि फलाहार (फल, दूध, मखाने आदि) सेवन की अनुमति होती है।
दिनभर सात्विक आहार और आचरण का पालन करना आवश्यक है। मांसाहार, लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन से परहेज करें।
रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय पूजा की जाती है। भक्त झूला झुलाकर, कृष्ण की आरती उतारकर और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान का स्वागत करते हैं। उपवास का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद निर्धारित समय पर किया जाता है। हालांकि कुछ लोग रात्रि 12 बजे पूजा के बाद ही व्रत तोड़ते हैं, परंतु परंपरा के अनुसार पारण अगले दिन ही करना अधिक शुद्ध माना गया है।

जन्माष्टमी व्रत की महिमा:
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति जन्माष्टमी व्रत करता है वह ऐश्वर्य व मुक्ति को प्राप्त करता है। जातक कीर्ति, यश पुत्र व लाभ आदि को प्राप्त कर सभी प्रकार के सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है।

घर में आएगी सुख-समृद्धि
जन्माष्टमी पर कान्हा जी के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना का विधान है। ऐसे में भी जन्माष्टमी से पहले लड्डू गोपाल को अपने घर ला सकते हैं, जिससे आप घर पर ही विधि-विधान से जन्माष्टमी की पूजा कर सकें। माना जाता है कि रोजाना विधिवत रूप से लड्डू गोपाल जी की उपासना व सेवा से घर में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है।

बनी रहती है शुभता
कान्हा जी को बांसुरी अति प्रिय है और इसे उसके शृंगार में भी जरूरी रूप से शामिल किया जाता है। ऐसे में आप अपनी श्रद्धानुसार जन्माष्टमी से पहले घर में चांदी या लकड़ी की बांसुरी ला सकते हैं। इसी के साथ आप लड्डू गोपाल को प्रिय मोर पंख भी अपने घर में रख सकते हैं। इसे वास्तु की दृष्टि से बहुत ही शुभ माना जाता है और इससे घर में शुभता भी आती है।

शुभ हैं ये चीजें

जन्माष्टमी से पहले आप कान्हा जी की कृपा प्राप्ति के लिए अपने घर में गाय और बछड़े की मूर्ति और भी ला सकते हैं। इसी के साथ वैजयंती माला भी घर में रखना शुभ माना जाता है। आप जन्माष्टमी से पहले श्रीमद्भगवद्गीता भी अपने घर में ला सकते हैं और इसका रोजाना पाठ कर सकते हैं।

बाजार में मिल रहे बच्चों के लिए स्टाइलिश कान्हा ड्रेस
लखनऊ। इस साल 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाएगी। जहां देखो वहीं लड्डू गोपाल की छवि देखने को मिलती है। ऐसे में आप भी अपने बच्चे को प्यारा सा कान्हा का रूप देने की इच्छा रखते हैं और इसके लिए ड्रेस तलाश रहे हैं? यहां आपको स्टाइल स्ट्रीट पर सुंदर सी कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल ड्रेस मिल रही है। ये पोशाक खासकर कॉटन या ब्रॉकेड फैब्रिक में तैयार की गयी धोती‑कुर्ता सेट है, ताकि बच्चा पूरे दिन आराम से रह सके। इनके साथ में मुकुट, माला, बांसुरी और मोर पंख, ये सब चीजे भी मिल रही हैं। सभी ड्रेस आरामदायक होते हुए पारंपरिक लुक देती हैं। ऊपर से इनकी कीमत भी काफी किफायती है। ये पोशाक वेलक्रो-स्ट्रैप्स या इजी आॅप्शन फिट के साथ आती हैं जिससे पहनना और उतारना आसान हो जाता है। इनका पीला रंग पवित्रता और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, जो आपके बच्चे की मासूमियत को और भी निखारता है। इसमें आपको सभी साइज के विकल्प मिल जायेंगे, जिनको आप अपने बच्चे के हिसाब से ले सकते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों के लिए बढ़िया पोशाक चुनना बहुत विचारणीय काम है, इसके लिए आप यहां गई बातों को ध्यान में रख सकते हैं।

रंग – पीला रंग भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय रंग है, इसलिए इस रंग की ड्रेस लेना शुभ रहता है।

धोती-कुर्ता सेट – भगवान कृष्ण की पारंपरिक पोशाक में पीली या सफेद धोती और कुर्ता मुख्य होते हैं। ये पोशाक न केवल धार्मिक दृष्टि से बढ़िया हैं, बल्कि बच्चों के लिए आरामदायक भी होती हैं।

मुकुट और मोर पंख – श्री कृष्ण के मुकुट में मोर पंख लगाना जरूरी है। यह ड्रेस को और भी सुंदर बनाते हैं।

आभूषण – हल्के और सुरक्षित आभूषण जैसे माला, कंगन, और कमरबंद जरूर पहनाएं। ये ड्रेस के लुक को पूरा करते हैं।

बांसुरी (फ्लूट) – कृष्ण की पहचान उसकी बांसुरी से है। इसलिए बच्चे के हाथ में एक हल्की और सजावटी बांसुरी होनी चाहिए।

माखन मटका – कृष्ण के माखन चोर रूप को दिखाने के लिए एक हल्का मटका रखना अच्छा रहेगा।

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