शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए
लखनऊ। सनातन धर्म में प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के रौद्र रूप की काल भैरव की उपासना की जाती है। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं। तंत्र साधक कालाष्टमी पर काल भैरव की विशेष पूजा करते हैं। इस दिन अगर आप भी ज्योतिषीय उपाय करें तो काल जीवन के संकट दूर हो सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और 29 जून को दोपहर 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। काल भैरव की पूजा निशा काल में की जाती है. अत: 28 जून को कालाष्टमी मनाई जाएगी। साधक 28 जून को व्रत रख कर काल भैरव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
कालाष्टमी पर जरूर करें ये उपाय
अगर आप जीवन के सुख-साधनों में बढ़ोतरी चाहते हैं तो कालाष्टमी पर भैरव जी के आगे मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय दो बार इस मंत्र का जाप करें। ऊं ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊं। अगर आप लंबे समय से किसी परेशानी में हैं तो कालाष्टमी के दिन आपको सरसों के तेल में चुपड़ी हुई एक रोटी लेकर काले कुत्ते को डालनी चाहिए। रोटी पर तेल चुपड़ के समय काल भैरव का ध्यान करना चाहिए। अगर जीवन में किसी न किसी चीज की कमी बनी रहती है तो कालाष्टमी पर भैरव जी के चरणों में एक काले रंग का धागा रखना चाहिए। उस धागे को 5 मिनट के लिए वहीं पर रहने दें। इस दौरान काल भैरव का ध्यान करें. फिर उस धागे को अपने दाएं पैर में बांध लें। पारिवारिक जीवन मे अगर कोई समस्या है तो कालाष्टमी को स्नान के बाद शिव जी की प्रतिमा के आगे आसन बिछाकर बैठना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।