पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं
लखनऊ। जून के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। ये व्रत भगवान शिव के स्वरूप कालभैरव को समर्पित है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। दृक पंचांग के अनुसार, इस महीने आषाढ़ माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की कृष्ण अष्टमी तिथि 18 जून को दोपहर 13:34 बजे प्रारम्भ होगी। तिथि का समापन 19 जून को सुबह 11:55 मिनट पर होगा। कालाष्टमी का पूजन संध्या के दौरान किया जाता है। इसलिए ये व्रत 18 जून को रखा जाएगा।
भगवान भैरव की पूजा करने से आध्यात्मिक विकास होता है। यह दिन आत्मा को शुद्ध करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है। कालाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर काल भैरव की कृपा से भक्तों के जीवन से सभी संकट और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी का पर्व भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव का ही एक रौद्र रूप हैं। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से भक्तों के जीवन से भय, संकट, रोग और शत्रुओं का नाश होता है। यह दिन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।
कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से भक्तों को भय, संकट, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। कालाष्टमी का व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने और उनसे सुरक्षा पाने के लिए भी किया जाता है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
कालाष्टमी की पूजा-विधि
कालाष्टमी के अवसर पर प्रात:काल स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। भगवान काल भैरव की पूजा के लिए शिवलिंग, तांत्रिक सामग्री, पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा विधि का पालन किया जाता है। इस पूजा में विशेष रूप से बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, काले वस्त्र, नारियल, चावल और नींबू का उपयोग किया जाता है. भक्त रात्रि में भगवान काल भैरव के मंदिर में दीप जलाते हैं और उनकी आरती करते हैं. इसके साथ ही, भैरव अष्टक, काल भैरव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। सुबह जल्दी उठें और स्नान कर लें। स्नान के बाद साफ-सफेद पहन लें, शिव भगवान का अभिषेक करें। घर के मंदिर में दीपक जलाएं फिर शिव परिवार की विधिवत पूजा करें। आखिर में भगवान शिव की आरती करें, भोग लगाएं। ॐ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। अंत में क्षमा प्राथर्ना करें।