back to top

संगीत के जरिए अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते है : जयवीर सिंह

-पर्यटन मंत्री ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षान्त समारोह में मेधावियों को पदक प्रदान किये
सर्वाधिक 08 पदक अंशिका कटारिया को मिले
दीक्षान्त समारोह में 09 शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि से अलंकृत किया गया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के कलामण्डपम प्रेक्षागृह में आयोजित 15 वें दीक्षान्त समारोह में मेधावियों को 40 पदक प्रदान कर छात्र-छात्राओं को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने में मेधावी छात्र-छात्राओं की प्रमुख भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि वेश्विक परिदृश्य बदल रहा है। आज देश प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के मार्गदर्शन में नई-नई उपलब्धियां हासिल की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के साथ ही विश्वगुरू भी बनाना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश तभी विकसित होगा, जब प्रदेश का हर जनपद विकसित होगा और प्रदेश की जनता इसमें अपना सकारात्मक योगदान देगी।
पर्यटन मंत्री मेधावियों को स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक वितरित करने के बाद उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं विभिन्न स्कूलों के बच्चों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लगभग 100 वर्ष पहले पं0 विष्णु नारांयण भातखण्डे ने इस संस्था की स्थापना की थी। राज सरकार ने वर्ष 2022 में इसे राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए पठन-पाटन के सभी संसाधन उपलब्ध कराये। अब यह संस्थान उतरोत्तर प्रगति के पद पर उग्रसर है। विश्वविद्यालय द्वारा संगीत, नाट्य, कला आदि के क्षेत्र में नई-नई विभूतियों को पैदा किया है। उन्होंने कहा कि मेडल पाने में 51 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी रही है। महिला शक्ति ने बाजी मारने का कार्य किया है। सभी विधाओं में बालिकाआें का उत्कृष्ठ प्रदर्शन रहा है। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी को इस पीढ़ी के संगीत के साथ जोड़ कर अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते है और कला के क्षेत्र में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकते है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विधानसभा एवं विधानपरिषद में लगातार 26 घंटे की चर्चा करके प्रदेश के विकास का विजन डॉक्यूमेंट पेश किया गया।
पर्यटन मंत्री ने मेधावी छात्र-छात्राओं को कुल 40 पदक प्रदान किये, जिसमें 25 स्वर्ण पदक, 07 रजत पदक तथा 08 कंस्य पदक शामिल है। पदक पाने वालों में अंशिका कटारिया को एमपीए कथ कनृत्य में सर्वाधिक 08 पदक, वैभवी को एमपीए 02 रजत पदक, अभय सिंह एमपीए गायन में 04 पदक, शीवम कुमार बीपीए तबला में 05 पदक, स्वणिर्मा वर्मा बीपीए गायन में 05 पदक, शिवांशी श्रीवास्तव बीपीए गायन में 02 पदक, याशिका गौड़ एमपीए गायन में 01 पदक, सहस उपाध्याय एमपीए गायन 01 पदक, ओमकार तिवारी बीपीए 01 पदक, मनसा तिवारी बीपीए गायत 01 पदक, राजर्षी मिश्रा एमपीए तबला में 02 पदक, गौरव मिश्रा एमपीए तबला में 01 पदक, सक्षम श्रीवास्तव एमपीए तबला में 01 पदक, अमित कुमार बीपीए तबला में 01 पदक, प्रशान्त भारती बीपीए तबला में 01 पदक, अनंत शर्मा एमपीए भरतनाट्यम में 03 पदक तथा दैवांश प्रसाद एमडीए नाट्यकला में 01 पदक प्रदान किये गये।
इसके अलावा 09 शोधार्थियों को वर्ष 2025 के लिए पीएचडी की उपाधि प्रादान की गयी। इनमें रश्मि उपाध्याय, अमिता चौहान, पूजा द्विवेदी, शिवरूचि सिंह, अस्मिता श्रीवास्तव, अर्चना तिवारी, मंजू मलकानी, शैलजा शुक्ला तथा उपास्ना दीक्षित शामिल है। दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ शोभा यात्रा से हुआ। इसी क्रम में राष्ट्रगीत एवं विश्वविद्यालय के कुल गीत विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने विश्वविद्यालय के बारे में जानकरी दी। उन्होंने विश्वविद्यालय के संस्थापक को श्रद्धासुमन पेश किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने की तथा विशिष्ट अतिथि माननीय राज्य मंत्री उच्च शिक्षा श्रीमती रजनी तिवारी रही। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि महिलाओं को प्राप्त मेडल यह संकेत देता है कि बेटियों को मौका मिले तो नई उचाइया छू सकती है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल समारोह में वर्चुअली उपस्थित थी।
इस अवसर पर हरदोई जनपद के आंगनबाढ़ी केन्द्रों को किट का वितरण किया गया एवं सीडीओ हरदोई सान्या छाबड़ा को स्मृति चिन्ह तथा प्राथमिक विद्यालयों के प्रचार को पुस्तक भेट की गई। मुख्य अतिथि डॉ. विनय सहस्त्र बुद्धे ने वर्चुअल रूप से दीक्षान्त समारोह को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

भातखंडे : 9 छात्रों को दी गयी पीएचडी की उपाधि


लखनऊ। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह बुधवार को आयोजित किया गया। पहली बार इस दीक्षांत समारोह में नौ शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि दी गयी। इनमें पांच शोधार्थी कथक नृत्य विभाग के हैं, जबकि चार शोधार्थी गायन विभाग के हैं। विश्वविद्यालय की कुलसचिव डा. सृष्टि धवन ने बताया कि इस बार जिन शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियां दी जा रही हैं, उनमें पांच कथक नृत्य विभाग से हैं और चार शोधार्थी गायन विभाग से। इससे पहले वर्ष 2022 और 2023 में तीन-तीन व 2024 में दो शोधार्थियों को पीएचडी उपाधि प्रदान की गई थीं।

कथक पर किया शोध
पीएचडी उपाधि के लिए कथक से नामित अर्चना तिवारी ने स्वतंत्रता के उपरांत कथक में निहित कोरियोग्राफी का विश्लेषणात्मक अध्ययन पर शोध किया है। मंजू मलकानी ने वंशेत्तर शिक्षार्थियों के लिए उपयुक्त शिक्षा पद्धति व शैलजा शुक्ला ने कथक की तकनीकी रचनाओं में अंतर्निहित गणितीय अवधारणाओं पर शोध किया है।

नृत्य हस्तकों के लिपिबद्धीकरण पर अध्ययन किया
अस्मिता श्रीवास्तव ने कथक के वैश्वीकरण व उपासना दीक्षित ने कथक की प्रारंभिक शिक्षा में नृत्य हस्तकों के लिपिबद्धीकरण पर अध्ययन किया है। गायन विभाग से पीएचडी की उपाधि के लिए नामित शोधार्थियों में अमिता चौहान ने वाग्येकार गोविंद नारायण नातू के सांगीतिक योगदान पर शोध किया है।

उपशास्त्रीय संगीत में योगदान पर शोध किया
शिवरुचि सिंह ने बीसवीं शताब्दी के संदर्भ में ग्वालियर व पटियाला घरानों के प्रमुख कलाकारों के उपशास्त्रीय संगीत में योगदान पर शोध किया है। रश्मि उपाध्याय ने शास्त्रीय संगीत के कलाकारों एवं श्रोताओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण व पूजा द्विवेदी ने ग्वालियर घराने के प्रमुख वाग्येयकारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया है।

इन होनहारों को मिले पदक
1- अंशिका कटारिया, एमपीए (कथक नृत्य) : राय उमानाथ बली मेधा स्वर्ण पदक, युवा आदित्य रंजन स्वर्ण पदक, लीला वामन राव सडोलीकर स्वर्ण पदक, डॉ. समर बहादुर सिंह स्वर्ण पदक, सरला श्रीवास्तव स्वर्ण पदक, मोहनराव कल्याणपुरकर स्वर्ण पदक, पद्मभूषण सरोजा वैद्यनाथन स्वर्ण पदक।

2- वैभवी, एमपीए (कथक नृत्य) : श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर रजत पदक, पं. भातखंडे रजत पदक

3- अभय सिंह, एमपीए (गायन) : वामन राव सडोलीकर स्वर्ण पदक, शीला सक्सेना स्वर्ण पदक, डॉ. सुरेंद्र कुमार सक्सेना स्वर्ण पदक, श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर कांस्य पदक।

4- शिवम कुमार, बीपीए (तबला) : पुतलीबाई स्वर्ण पदक, श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर एवं इंदिरा बाई रातंजनकर स्वर्ण पदक, पद्मविभूषण पं. किशन महाराज स्वर्ण पदक, सदाशिव राव स्वर्ण पदक, चंटू लाल स्वर्ण पदक।

5- स्वर्णिमा वर्मा, बीपीए (गायन) : पं. घनारंग प्रकाश स्वर्ण पदक, शिशिर कुमार स्वर्ण पदक, कुसुम वर्मा स्वर्ण पदक, मां उमा प्रभाकर अवॉर्ड, श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर कांस्य पदक।

6- शिवांशी श्रीवास्तव, बीपीए (गायन) : पं. भातखंडे रजत पदक, पं. श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर कांस्य पदक।

7- याशिका गौड़, एमपीए (गायन) : भातखंडे रजत पदक
8- सहज उपाध्याय, एमपीए (गायन) : भातखंडे कांस्य पदक
9- ओंकार तिवारी, बीपीए (गायन) : भातखंडे कांस्य पदक
10- मनसा तिवारी, बीपीए (गायन) : भातखंडे कांस्य पदक
11- राजर्षि मिश्रा, एमपीए (तबला) : पं. सखाराम मृदंगाचार्य स्वर्ण पदक, स्वामी पागलदास मृदंगाचार्य स्वर्ण पदक।
12- गौरव मिश्रा, एमपीए (तबला) : पं. भातखंडे रजत पदक
13- सक्षम श्रीवास्तव, (एमपीए तबला) : पं. भातखंडे कांस्य पदक
14- अमित कुमार, बीपीए (तबला) : पं. भातखंडे रजत पदक
15- प्रशांत भारती बीपीए (तबला) : पं. भातखंडे कांस्य पदक
16- अनंत शर्मा, एमपीए (भरतनाट्यम) : श्रीमती बासंती सुब्रहमणियम स्वर्ण पदक, पं. भातखंडे कांस्य पदक, के. मुत्तुकुमारन पिल्लै स्वर्ण पदक।

17- देवांश प्रसाद, एमडीए (नाट्यकला) : पद्मश्री प्रो. राज बिसारिया स्वर्ण पदक।

चार वर्ष की उम्र से नृत्य की शिक्षा ले रही हूं : अंशिका कटारिया


लखनऊ। आठ गोल्ड मेडल अपने नाम करने वालीं अंशिका कटारिया विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं। वे न सिर्फ कथक नृत्य में पारंगत हैं, बल्कि भरतनाट्यम, शास्त्रीय गायन और तबले में भी विशारद हैं। वे संगीत और नृत्य को समर्पित पब्लिकेशन हाउस भी चलाती हैं। अब तक पांच किताबें प्रकाशित कर चुकी हैं। खास बातचीत में अंशिका ने बताया कि वे चार वर्ष की उम्र से नृत्य की शिक्षा ले रही हैं। इसकी शुरूआत राष्ट्रीय कथक संस्थान से की थी। खास बात यह है कि उनके परिवार से कोई भी संगीत के क्षेत्र में नहीं है। अंशिका के पिता अजय कुमार का ड्राई क्लीनिंग का व्यवसाय है और मां रचना गृहिणी हैं। बड़ा भाई आकाश बंगलूरू में आईटी क्षेत्र में काम कर रहा है। अंशिका ने आठ स्वर्ण पदक पाने का श्रेय गुरुओं को दिया। उन्होंने पंडित राममोहन महाराज, डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव और डॉ. रुचि खरे से नृत्य की शिक्षा ली। उन्हें पीएचडी करने के साथ परफॉर्मिंग आर्ट में बढ़ना है। देशभर में प्रतिष्ठित समारोहों का हिस्सा बन चुकीं अंशिका दुबई एक्सपो में भी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। पिछले वर्ष उन्हें नटवर गोपीकृष्ण अवॉर्ड मिला तो संगीत मिलन की ओर से नृत्यश्री अवॉर्ड भी दिया गया। अंशिका ने जिन पदकों को अपने नाम किया उनमें राय उमानाथ बली मेघा स्वर्ण पदक, युवा आदित्य रंजन स्वर्ण पदक, लीला वामन राव सडोलीकर स्वर्ण पदक, डॉ. समर बहादुर सिंह स्वर्ण पदक, सरला श्रीवास्तव स्वर्ण पदक, मोहनराव कल्याणपुरकर स्वर्ण पदक, पद्मभूषण सरोजा वैद्यनाथन स्वर्ण पदक हैं।

बच्चों को कथक सिखाना चाहती हूं : वैभवी

लखनऊ। वैभवी ने एमपीए कथक नृत्य में दो पदक अपने नाम किया, और अपनी कामयाबी का श्रेय अपने गुरु और परिवार को दिया। वैभवी ने श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर रजत पदक, पं. भातखंडे रजत पदक अपने नाम किया। कथक नृत्य में दो पदक जीतने वाली वैभवी कहती हैं कि वो बच्चों को कथक की शिक्षा देना चाहती हूं और समाज के हर वर्ग के बच्चे को इस खूबसूरत कला से जोड़ना चाहती हूं। वैभवी आगे कहती हैं कि कथक की शिक्षा के लिए मैंने नियमित रूप से नृत्य का रियाज किया। वैभवी के पिता असीम बिजनेसमैन और माता पूनम एक घरेलु महिला हैं।

मेरी कामयाबी का श्रेय माता-पिता और गुरुओं को : अभय सिंह

लखनऊ। एमपीएम गायन में अभय सिंह ने चार पदक अपने नाम किये जिसमें पं. वामन राव सडोलीकर स्वर्ण पदक, श्रीमती शीला स्वर्ण पदक, डा. सुरेन्द्र सक्सेना स्वर्ण पदक और पं. श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर कांस्य पदक अपने नाम किया। चार पदक अपने नाम करने वाले अभय सिंह ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुओं को दी। आगे अभय ने कहा कि वो गायन क्षेत्र में पीएचडी करना चाहते हैं, और संगीत को जन जन तक पहुंचाना चाहते है, ताकि संगीत की शिक्षा से कोई भी वंचित न रहे। अभय के पिता दिलीप सिंह पेशे से प्रिंटिंग का काम करते हैं और माता हिना सिंह गृहणी हैं। अभय ने अपनी सफलता के लिए कड़ी मेहनत और गायन में नियमित रियाज को श्रेय दिया, उनका कहना है कि जबतक हम नियमित रियाज नहीं करेंगे तब तक हमें सफलता नहीं मिलेगी, इसलिए संगीत में रियाज बहुत जरूरी है।

एक सफल गायिका बना चाहती हूं : स्वर्णिमा वर्मा

लखनऊ। बीपीए गायन में तीन स्वर्ण एक रजत और मां उमा प्रभाकर एवार्ड अपने नाम करने वाली स्वर्णिमा वर्मा अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुओं को दिया। स्वर्णिमा ने आगे कहा कि वो एक सफल गायिका बनना चाहती हैं और संगीत के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं। आगे स्वर्णिमा कहती हैं कि वो बच्चों को संगीत की शिक्षा देना चाहती हैं और शास्त्रीय संगीत को जन जन तक पहुंचाना चाहती हूं। संगीत की शिक्षा मैं हर वर्ग के बच्चों को देना चाहती हूं ताकि कोई बच्चा संगीत सीखने से वंचित न रह जाये। आगे वो कहती हैं कि संगीत सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इंसान जब चाहे तब संगीत की शिक्षा ले सकता है।

नियमित रियाज से ही सफलता मिलती है : शिवम कुमार
लखनऊ। बीपीए तबला में पांच स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले शिवम कुमार अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और गुरु को दिया। आगे शिवम ने कहा कि वो पीएचडी करना चाहते हैं। उन्होंने तबले की शिक्षा के लिए नियमित रियाज को प्राथमिकता दी तभी सफलता मिली।
शिवम ने जिन पदकों को अपने नाम किया उनमें पुतलीबाई स्वर्ण पदक, श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर एवं इंदिरा बाई रातंजनकर स्वर्ण पदक, पद्मविभूषण पं. किशन महाराज स्वर्ण पदक, सदाशिव राव स्वर्ण पदक, चंटू लाल स्वर्ण पदक प्रमुख है।

RELATED ARTICLES

पुस्तक विमोचन संग बच्चों ने बाल उत्पीड़न पर पेश की नृत्य नाटिका

22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला : सातवां दिन ब्रजेश पाठक ने किया कुम्भ डायरीज का विमोचन, एक सांस सबके हिस्से से पर हुई चर्चा लखनऊ। 22वां राष्ट्रीय...

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि…प्रस्तुत कर पं. गोविंद बल्लभ पंत को किया याद

जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 80वीं जयंती श्रद्धा और भावपूर्ण स्मरण के साथ मनाई लखनऊ। आज उत्तराखंड महापरिषद भवन कुर्मांचल नगर में देवभूमि के...

श्रीराम ने अपने लोक-मंगलकारी जीवन का आरंभ यज्ञ रक्षा से किया

अखिल लोक दायक विश्रामा… लखनऊ। श्रीराम कथा के चौथे दिवस कथा प्रवक्ता भाईश्री दिलीप शुक्ल ने कहा कि जीव शास्वत आनन्द और सुख प्रदान करने...

Most Popular

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि…प्रस्तुत कर पं. गोविंद बल्लभ पंत को किया याद

जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की 80वीं जयंती श्रद्धा और भावपूर्ण स्मरण के साथ मनाई लखनऊ। आज उत्तराखंड महापरिषद भवन कुर्मांचल नगर में देवभूमि के...

श्रीराम ने अपने लोक-मंगलकारी जीवन का आरंभ यज्ञ रक्षा से किया

अखिल लोक दायक विश्रामा… लखनऊ। श्रीराम कथा के चौथे दिवस कथा प्रवक्ता भाईश्री दिलीप शुक्ल ने कहा कि जीव शास्वत आनन्द और सुख प्रदान करने...

ईश्वर को पाने के लिए ज्ञान, वैराग्य और भक्ति तीनों चाहिए : स्वामी अभयानंद

सीता माता को शांति भी कहा जाता हैलखनऊ। महामण्डलेश्रवर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि सूर्य प्रकाश नहीं देता है अगर देना कहते हैं...

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजम खान को डूंगरपुर मामले में दी जमानत

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान को कथित डूंगरपुर मामले में बुधवार को जमानत दे दी। इस मामले...

पिता की हत्या में बेटे को आजीवन कारावास

गोंडा । जिले में एक अदालत ने करीब साढ़े चार साल पूर्व कुल्हाड़ी मारकर पिता की हत्या करने के मामले में बेटे को...

नेपाल : सेना ने सुरक्षा की कमान संभाली, लोगों को घरों में ही रहने के दिए निर्देश

काठमांडू । नेपाल की सेना ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए बुधवार को देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर...

फ्रांस में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प, 200 गिरफ्तार

पेरिस। फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के एक दिन बाद राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर...

जनता दर्शन में बोले सीएम योगी- किसी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले, कमजोरों को उजाड़ने वाले बख्शे न जाएं

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि गरीबों की जमीन पर यदि किसी ने कब्जा किया है...