साहित्यकार भगवान स्वरूप कटियार को जन संस्कृति सम्मान

हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में हुआ आयोजन
लखनऊ। हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार भगवान स्वरूप कटियार को हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में उनके 75 साल पूरे होने पर जन संस्कृति सम्मान से नवाजा गया। जन संस्कृति मंच और आस इनिशिएटिव ने समारोह आयोजित किया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि आजमगढ़ के वामपंथी विचारक कामरेड जयप्रकाश नारायण थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता वन्दना मिश्र ने की। कवि कौशल किशोर ने कहा कि कटियार जी की यह तीसरी पाली है। उन्होंने जो जिया वही रचा। सृजन का कलश भरा हुआ है। उनकी कविता में परिंदे की उड़ान है। ये बेमकसद जिंदगी की जगह बामकसद जिंदगी के पक्षधर हैं। जयप्रकाश नारायण ने कहा कि यह ऐसा राजनीतिक समय है जब मनुष्य विरोधी संस्कृति ने जनमानस को अपनी चपेट में ले रखा है। वे इसके विरुद्ध बदलाव चाहते हैं। इनके साहित्य में लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की चिंता है। वन्दना मिश्र ने कहा कि कटियार जी राजनीतिक व्यवस्था से टकराते हैं। इनके साहित्य में मानव संबंधों, निजी अनुभूतियों तथा मनुष्य की आत्मीय और स्नेहिल दुनिया है। इस मौके प्रो. रूपरेखा वर्मा, प्रो. रमेश दीक्षित, सुभाष राय, चंद्रेश्वर, असगर मेहदी, शकील सिद्दीकी, विजय राय, अवधेश कुमार सिंह, सुहेल वहीद, प्रतिभा कटियार और सत्य प्रकाश ने उनके सृजन और व्यक्तित्व के विविध पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में भगवान स्वरूप कटियार की दो किताबों का विमोचन किया गया। किताबों पर इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश और अशोक चंद्र ने अपने विचार रखे।

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