अनुच्छेद 370: दोषपूर्ण याचिकाएं दायर होने पर न्यायालय ने व्यक्त की नाराजगी

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को निरस्त करने के खिलाफ दोषपूर्ण याचिकाएं दायर करने पर शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त की। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका का कोई मतलब नहीं है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने याचिका पढऩे में 30 मिनट लगाए लेकिन इससे कुछ भी समझ नहीं सके। यह भी समझ नहीं सके कि इसमें क्या अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा, यह किस तरह की याचिका है? इसे तो खारिज किया जा सकता था लेकिन रजिस्ट्री में ऐसी ही पांच अन्य याचिकाएं भी हैं जिनमें खामियां हैं।

 

पीठ ने कहा, आपने राष्ट्रपति का आदेश निरस्त करने का अनुरोध नहीं किया है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसमें क्या अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा, इस तरह के मामले में अगर यह याचिका है तो इसका कोई मतलब नहीं है। शीर्ष अदालत मनोहर लाल शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे केन्द्र द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के एक दिन बाद छह अगस्त को दायर किया गया था। शीर्ष अदालत ने संबंधित वकीलों से कहा कि वे अनुच्छेद 370 को लेकर दायर अपनी छह याचिकाओं की खामियों को दूर करें और इसके साथ ही उसने सुनवाई स्थगित कर दी। पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि वह अयोध्या जैसे संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों की पीठ को तोड़ कर अनुच्छेद 370 को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

 

इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शकील सबीर ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर के निवासी हैं और उन्होंने अनुच्छेद 370 खत्म करने के खिलाफ याचिका दायर की है। शकील ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका की खामियां दूर कर दी हैं लेकिन वह अभी सूचीबद्घ नहीं हुई है। इस पर पीठ ने अपनी रजिस्ट्री से वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी तो पता चला कि ये खामियां बुधवार की शाम को दूर की गई हैं। पीठ ने कहा कि याचिका की खामियां बुधवार की शाम को दूर की गई और बृहस्पतिवार को अवकाश था। ऐसी स्थिति में आप यह अपेक्षा कैसे करते हैं कि आपकी याचिका आज सूचीबद्घ हो जाएगी? पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए वकील से सवाल किया, इनते महत्वपूर्ण मामले में आपने खामियों के साथ याचिका दायर क्यों की? आप दोषपूर्ण याचिका दायर करते हैं और हमारे अधिकारियों को तंग करते हैं।

 

पीठ ने इस अधिवक्ता से जानना चाहा कि क्या उसे जानकारी है कि जम्मू कश्मीर के मसले पर शीर्ष अदालत में कितनी याचिकाएं हैं और कितनी दोषपूर्ण हैं। पीठ ने कहा कि इस मसले पर छह याचिकाएं दायर की गई हैं। जम्मू कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेन्स ने भी जम्मू कश्मीर के सांविधानिक दर्जे में किए गए बदलाव पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की है। इस याचिका में दावा किया गया है कि इससे नागरिकों की राय जाने बगैर ही उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। यह याचिका लोकसभा में नेशनल कांफ्रेन्स के सदस्य मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है। लोन जम्मू कश्मीर विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष हैं जबकि मसूदी राज्य के उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं जिन्होंने 2015 में यह व्यवस्था दी थी कि अनुच्देद 370 संविधान का स्थाई हिस्सा है। इस मसले को लेकर कुछ अन्य लोगों ने भी याचिका दायर की है लेकिन वे शुक्रवार को सूचीबद्घ नहीं थीं।

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