अनुच्छेद 370: प्रधानमंत्री के भरोसे से संतुष्ट नहीं है राज्य के नागरिकों का एक वर्ग

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने के उनकी सरकार के फैसले पर बृहस्पतिवार को देश को संबोधित किया और फैसले के सकारात्मक पक्ष बताए लेकिन राज्य के नागरिकों के एक वर्ग ने आरोप लगाया कि जो कुछ किया गया है, वह अत्यंत अलोकतांत्रिक है। कुछ लोगों ने तो दावा किया कि केंद्र सरकार कश्मीरियों की जमीन चाहती है, दिल जीतना नहीं।

 

जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के छात्रों से लेकर पेशेवर युवाओं तक ने आशंका जताई कि विशेष दर्जा समाप्त करने से पारिस्थितिकीय तौर पर संवेदनशील राज्य के संसाधनों का आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए दोहन किया जाएगा। एक कश्मीरी पत्रकार ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद कॉरपोरेट जगत के लिए होटल, फ्लाईओवर आदि परियोजनाओं के लिए दरवाजें खोल दिए जाएंगे। यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा, जो अब तक अनुच्छेद-370 के प्रतिबंधों के कारण सुरक्षित था। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां नदियों के किनारे मकान और होटलों का निर्माण किया गया जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा, हम अपने राज्य में ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं।

 

दिल्ली निवासी डॉक्टर एजाज अहमद ने आरोप लगया, वे केवल कश्मीर की जमीन चाहते हैं, वे कश्मीरियों का दिल जीतना नहीं चाहते। अगर वे हमारा भरोसा जीतना चाहते हैं तो उन्हें हमें भरोसे में लेना चाहिए, इस कवायद के फायदे और नुकसान की चर्चा करनी चाहिए और हमें सुरक्षा का एहसास दिलाना चाहिए। हमारे परिवार वहां प्रतिबंधों में रह रहे हैं। आपात स्थिति में परिवार को एम्बुलेन्स तक की सुविधा नहीं है। जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव ऐजाज अहमद ने कहा, वे कहते हैं कि यह विकास के लिए किया गया, परंतु आंकड़ों के मुताबिक कई संकेतकों में गुजरात भी जम्मू-कश्मीर से पीछे है। सरकार ने बड़ी गलती की है जिसका उसे बाद में अफसोस होगा। उन्होंने हमारी पहचान छीन ली।

 

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