गरजे बरसे रे बदरिया…
लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेन्द्र नगर, लखनऊ में 2 अगस्त 2025 को भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला समिति द्वारा हरितिमा उत्सव का आयोजन किया गया। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम सावन की ऋतु और भारतीय लोक परंपराओं को समर्पित था। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन से हुई, जो ज्ञान, सकारात्मक ऊर्जा और सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक है। वातावरण में भक्ति और उल्लास का भाव व्याप्त हो गया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मंजुला उपाध्याय ने अतिथियों का पारंपरिक रूप से चुनरी, पौधा और पेंटिंग भेंटकर स्वागत किया। मुख्य अतिथि के रूप में समाज सेवी श्रीमती नम्रता पाठक, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कृष्णा देवी महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सारिका दुबे उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में आमंत्रित कलाकारों की प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। शास्त्रीय एवं लोक गायिका डॉ. पूनम श्रीवास्तव ने ‘बरसे सावन’ जैसी मनमोहक कजरी प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध किया। लोक गायिका गीता सिंह, संगीत शिक्षिका सुषमा अग्रवाल एवं शिक्षिका डॉ. सुमन मिश्रा ने गरजे बरसे रे बदरिया, झमक के बरसो तथा श्रावण मास यमुना तीरे जैसी कजरी, झूमर और झूला गीत प्रस्तुत कर वातावरण को मानसूनी रंगों से भर दिया। पूनम त्रिपाठी ने अपनी ढोलक से संगत की।
नम्रता पाठक ने कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध और अद्भुत है। सावन का महीना प्रकृति, भक्ति और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, जब भगवान शिव शक्ति के साथ विचरण करते हैं। यह ऋतु प्रकृति की सुंदरता और उसके हमारे जीवन में महत्व को रेखांकित करती है। हमारे त्योहार हमें ऊर्जा से भर देते हैं वहीं ऊर्जा हमें कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। मैं इस कार्यक्रम के लिए महाविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई देती हूं। प्रो. सारिका दुबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस प्रकार के आयोजन नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति प्रकृति में समाहित है — हम गाय को माता, भूमि और नदियों को देवी मानते हैं। श्रावण मास के दौरान हमारी धरती माँ को रजस्वला माना जाता है, इसलिए नदियों में स्नान वर्जित रहता है। उन्होंने श्रावण के सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व दोनों को रेखांकित किया। अंत में उन्होंने महाविद्यालय की प्राचार्या एवं आयोजन समिति को सुंदर आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और कलाकारों को बधाई एवं छात्राओं को आशीर्वाद प्रदान किया।
प्राचार्या ने सभी को श्रावण मास और हरितिमा उत्सव की शुभकामनाएँ देते हुए समस्त अतिथियों एवं कलाकारों की प्रस्तुतियों की सराहना की। उन्होंने समिति के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी और आशीर्वचन देते हुए कहा कि हरा रंग उन्नति और जीवन का प्रतीक है, आप सभी यूँ ही जीवंत और ऊजार्वान बने रहें। उन्होंने छात्राओं की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और उनके द्वारा लगाए गए स्टाल की भी विशेष प्रशंसा की और उन्हें उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। कार्यक्रम में समिति के सदस्यों ने पारंपरिक कजरी गीत प्रस्तुत किए, जिससे पूरे माहौल में लोक-संस्कृति की जीवंतता भर गई। छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया — नेहा मिश्रा और शगुन सिंह ने लोक नृत्य प्रस्तुत किए, जबकि आशी गुप्ता ने कजरी नृत्य से सभी का मन मोह लिया। शिक्षिकाएँ सुनीता सिंह, डॉ. चंदन मौर्य, डॉ. स्नेहा और डॉ. अंजुला डा स्नेहा द्वारा प्रस्तुत लोकगीतों ने कार्यक्रम को विशेष गरिमा प्रदान की। कई छात्राओं ने मेहंदी , श्रृंगार का सामान,घेवर , अनरसे, ठेकुआ ,फरे के पारंपरिक व्यंजनके स्टाल लगाए। जबकि अन्य ने फूड स्टॉल्स के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया।
इस आयोजन की सफलता का श्रेय आयोजन समिति की समर्पित टीम को जाता है, जिसमें प्रो. सीमा सरकार, डॉ. आभा पाल, डॉ. अपूर्वा अवस्थी, श्रीमती ललिता पांडेय एवं सुश्री नेहा पांडेय शामिल थीं। महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों और छात्राओं की सक्रिय भागीदारी ने हरितिमा उत्सव को भारतीय लोक संस्कृति का एक जीवंत, रंगीन और स्मरणीय उत्सव बना दिया।