- फिच 9.5 व एसएंडपी का 8.5 फीसद जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
नई दिल्ली। सच है कि देश के हालात मुश्किल हैं, पर जल्द ही बेहतर होने की उम्मीद भी है। दुनिया की दो सबसे बड़ी एजेंसियों ने भारत के लिए ये सुनहरी भविष्यवाणी की है। दोनों एजेंसियों ने कहा है कि इस साल यानी 2020 में कोरोना का प्रभाव कम होने के साथ ही समग्र विकास दर (जीडीपी) में तेजी आने लगेगी।
अगले दो साल में यानी 2022 तक भारत की विकास दर 8.5 फीसद से 9.5 फीसद तक हो जाएगी। ऐसा कहने वाली एजेंसियों का नाम है फिच और एसएंडपी। दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसी हैं। फिच और एसएंडपी में सिर्फ एक फीसदी का फर्क है। फिच का अनुमान है कि अगले दो साल में भारत की ग्रोथ रेट 9.5 फीसद होगी, तो एसएंडपी इसे 8.5 फीसद बता रही है, लेकिन रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि रिकवरी की रफ्तार पाने के लिए भारत को वित्तीय सेक्टर और लेबर मार्केट में सुधार पर जोर देना होगा।
2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का अनुमान
फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का अनुमान जताया है। एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में कोरोनावायरस महामारी के कारण आई गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी करेगी। अगले वित्त वर्ष में इसकी ग्रोथ रेट 9.5 फीसद रहेगी। हालांकि, तेज ग्रोथ रेट के लिए वित्तीय सेक्टर में सुधार करना होगा।
एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 5 फीसद की कमी आने का अनुमान जताया है। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में बड़ी गिरावट के बावजूद भारत में मजबूत रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं। इससे वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 8.5 फीसद के करीब रह सकती है। हालांकि, एजेंसी ने कहा है कि कमजोर वित्तीय सेक्टर और लेबर मार्केट में सुधार करने की जरूरत है।
यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो रिकवरी पर असर पड़ सकता है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 5 फीसद कमी का अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग्स ‘बीबीबी-‘ में कोई बदलाव नहीं किया है। एजेंसी ने भारत की विदेशी और स्थानीय मुद्रा पर लंबे समय के रेटिंग्स को ‘बीबीबी-‘ और कम समय के लिए ‘ए-3’ की पुष्टि की है।
लंबे समय की रेटिंग पर भारत का परिदृश्य स्थिर
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि लंबे समय की रेटिंग पर भारत का परिदृश्य स्थिर है। रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को बयान में कहा कि स्थिर परिदृश्य इस बात को बताता है कि कोविड-19 महामारी पर लगाम लगने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था सुधरेगी और देश अपनी मजबूत स्थिति को बरकरार रखेगा।
एसएंडपी ने कहा कि भारत सरकार की ओर से हाल ही में किए गए उपाय अच्छी नीति के लिए रास्ता तैयार करते हैं, लेकिन कम राजस्व भारत की फिस्कल स्थिति को कमजोर करता रहेगा। एजेंसी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सरकार को राजस्व जुटाने के लिए सख्त कदम उठाने में काफी मुश्किल होगी। ऐसे में वित्त वर्ष 2021 में भारत का फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 11% रह सकता है।
जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान देश की जीडीपी की वृद्धि दर 3.1 फीसद रही है। हालांकि, पूरे साल के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 4.2 फीसद रही। इसी तरह ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) 3.9 फीसद रहा है। केंद्रीय सांख्यिकीय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.7 फीसद थी। जबकि, 2019 के पूरे साल के दौरान यह वृद्धि दर 6.1 फीसद थी।