राष्ट्रपति कोविंद ने बीबीएयू के दीक्षांत समारोह में 1424 छात्र-छात्राओं को दी उपाधि
लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को विश्वास व्यक्त किया कि आज की युवा पीढ़ी के प्रयासों से 2047 का भारत हर तरह के भेदभाव से मुक्त एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा। कोविंद ने कहा कि युवा पीढ़ी आजादी की शताब्दी तक हिंदुस्तान में समतामूलक समाज की स्थापना के काम में सभी नौजवान अभी से जुट जायें। राष्ट्रपति ने लखनऊ स्थित बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आज की युवा पीढ़ी के प्रयासों से वर्ष 2047 का भारत हर प्रकार के भेदभाव से मुक्त होकर एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा। भविष्य के भारत में न्याय, समता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों को हम पूरी तरह से अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में ढाल चुके होंगे।’
कोविंद ने कहा, ‘हम एक समावेशी विश्व व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा रहे होंगे। ऐसे समतामूलक और सशक्त भारत के निर्माण के लिए आप सबको आज से ही संकल्पबद्ध होकर जुटना है। मैं चाहूंगा कि आप सब भारत को विकास की ऐसी ऊंचाइयों पर लेकर जायें जो हमारी कल्पना से भी बहुत ऊपर हो। यही बाबा साहब का सपना था और हम सबको मिलकर इसे पूरा करना होगा।’ कोविंद ने दीक्षांत समारोह में उपाधियां धारण करने वाले तमाम युवाओं से आत्मनिर्भर बनने का आह्वान करते हुए कहा कि, ‘आप जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनें। राष्ट्रपति ने कहा कि भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय बाबा साहब के विचारों के अनुरूप शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के समावेशी विकास की दिशा में सराहनीय योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि लगभग एक साल पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारत को एक शिक्षा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप आज की युवा पीढ़ी को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
कोविंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए अनेक कदम उठाये जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने बाबा साहब आंबेडकर के एक कथन का जिक्र करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ मनुष्य का शील भी सुधरना चाहिए। उन्होंने कहा कि शील के बगैर शिक्षा की कीमत शून्य है। उन्होंने कहा कि ज्ञान एक तलवार की तरह है और उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना उस व्यक्ति के शील पर निर्भर करता है। राष्ट्रपति ने बाबा साहब के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम सब जानते हैं कि विश्व के सबसे बड़े शिल्पकार होने के साथ-साथ बाबा साहब आंबेडकर ने बैंकिंग, सिंचाई, बिजली, श्रम प्रबंधन प्रणाली, राजस्व साझाकरण प्रणाली और शिक्षा क्षेत्रों में मूलभूत योगदान दिया था।’ उन्होंने कहा कि वह एक शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, विधि वेत्ता, राजनेता, पत्रकार, समाज सुधारक और समाजशास्त्री तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
इस मौके पर स्नातक, परास्नातक, पीएचडी और एमफिल एवं अन्य पाठ्यक्रमों के 1,424 छात्र-छात्राओं को उपाधि से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने स्नातक के दो छात्र बीएससी फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी के भानु प्रताप सिंह व बीटेक कंप्यूटर इंजीनियरिंग की प्रियंका गौतम, परास्नातक के दो छात्र एमएससी जियोलॉजी के शुभम मिश्रा व एमएससी एग्रीकल्चर की पूजा मीणा, एमफिल के छात्र एमफिल स्टैटिस्टिक्स की शान्या बघेल व एमफिल इन्फॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी साइंस की कुमारी निहारिका को मेडल व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। वहीं उन्होंने इतिहास विभाग की अंजू रावत को आरडी सोनकर फाउंडर समता समाज अवार्ड से नवाजा। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।