कोलंबो। श्रीलंका का एक भरोसेमंद साझेदार और विश्वसनीय मित्र भारत के हमेशा बने रहने का आश्वासन देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि हम परस्पर हित, परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता के साथ आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के पक्ष में हैं।
श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धन के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का भारत-श्रीलंका के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और दोनों देश कोविड-19 के बाद सहयोग को लेकर आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, कोविड ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं डाला है। वास्तविकता यह है कि और हमारे प्रधानमंत्रियों के बीच पिछले साल हुई ऑनलाइन बैठक इन संबंधों पर मुहर थी। जयशंकर ने दिन में राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे से मुलाकात की।
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा, श्रीलंका के विकास में भारत भरोसेमंद साझेदार रहेगा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी पहले की अपनी नीति पर कायम रहते हुए भारत ने समय पर सहायता के रूप में दवाइयां उपलब्ध करा कर कोविड से निपटने में श्रीलंका की मदद की।
जयशंकर ने कहा, अब हम कोविड के बाद की साझेदारी को लेकर आशान्वित हैं। श्रीलंका के विदेश मंत्री गुणवर्धन के न्योते पर जयशंकर पांच से सात दिसंबर तक के लिए तीन दिनों की यात्रा पर यहां आए हैं। यह 2021 में उनकी पहली विदेश यात्रा है। साथ ही वह नए साल में श्रीलंका आने वाली पहली विदेशी हस्ती हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भारत अपना कर्तव्य मानता है।
जयशंकर के साथ कोलंबो में बैठक के दौरान श्रीलंका की सरकार ने कोविड टीके के लिए औपचारिक रूप से भारत की सहायता मांगी। यह आश्वासन देते हुए कि श्रीलंका के लिए भारत भरोसेमंद और विश्वसनीय साझेदार है, जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली परस्पर हित, परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता के आधार पर द्वीपीय देश (श्रीलंका) के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के पक्ष में है। जयशंकर ने रेखांकित किया कि पड़ोसी देश फिलहाल कोविड-19 के बाद की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, यह सिर्फ जन स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है बल्कि आर्थिक संकट की स्थिति भी है। उन्होंने अल्पसंख्यक तमिलों की आकांक्षाओं को समझने और एकीकृत श्रीलंका के तहत उन्हें पूरा करने की जरुरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, भारत श्रीलंका की एकता, स्थिरता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध है। हम श्रीलंका में सुलह की प्रक्रिया का हमेशा की तरह साथ दे रहे हैं।
जयशंकर ने कहा, यह श्रीलंका के हित में है कि एकीकृत श्रीलंका के भीतर तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा किया जाए। यह श्रीलंका की सरकार द्वारा संविधान के 13वें संशोधन में किए गए बदलावों को लागू करने के वादे के समान ही है।
विदेश मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी के सहयोगियों द्वारा श्रीलंका प्रांतीय विधानसभा प्रणाली को समाप्त करने का दबाव बनाया जा रहा है। जयशंकर ने समुद्री सुरक्षा को लेकर दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया। विदेश मंत्री के श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवनंद से मिलने का भी कार्यक्रम था। जयशंकर ने कहा कि वह श्रीलंका द्वारा पकड़े गए भारतीय मछुआरों की घर वापसी की आशा करते हैं।