‘धनुष भंग’ के मंच पर दिखे रामलीला के प्रसंग

एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में रामलीला का मंचन
लखनऊ। अग्रसर सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा पारंपरिक लोकनाट्य प्रस्तुति रामलीला धनुष भंग का मंचन संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि रंगशाला में किया गया।
पारम्परिक लोकनाट्य प्रस्तुति धनुष भंग रामलीला के एक प्रसंग में से है। वैसे तो रामलीला के हर एक प्रसंग पर प्रस्तुति की जा सकती है इसमें कुछ प्रसंगों को संक्षिप्त रूप में शामिल किया गया है। इसकी कथा मारीच दरबार से प्रारम्भ होती है। फिर विश्वामित्र के आश्रम पर राक्षसों द्वारा उत्पात मचाने पर विश्वामित्र राजा दशरथ से आश्रम रक्षा के लिए उनके पुत्रों को मांगने के लिए जाते है। विश्वामित्र जब आश्रम रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को मांगते है तब राजा दशरथ थोड़ा चिंतित होते है, विश्वामित्र कहते है आप राजन नि:संकोच भेज दे किसी प्रकार की चिंता न करे।
राम-लक्ष्मण कई राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के आश्रम की रक्षा करते है। फिर एक दिन जनक द्वारा आयोजित सीता स्वयंवर में शामिल होने के लिए विश्वामित्र के लिए आमंत्रण आता है। विश्वामित्र राम-लक्ष्मण के साथ वहां पहुंचते है। बाजार दृश्य के साथ अंतिम दृश्य सीता स्वयंवर दृश्य अवतरित होता है। धनुष भंग होते ही परशुराम का प्रवेश और लक्ष्मण-परशुराम संवाद के बाद, राम द्वारा परशुराम के संदेह की समाप्ति के साथ ही प्रस्तुति की समप्ति है। नाटक में अहम भूमिका संजय शर्मा, मनोज तिवारी, संतोष प्रजापति, केके पांडे, पुरुषोत्तम अवस्थी, युआंग गुप्ता, नीरज शब्द, सुरेश श्रीवास्तव आदि ने निभायी।

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