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सम्मान समारोह संग रामसखा निषादराज खण्डकाव्य का लोकार्पण

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में हुआ आयोजन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में विमोचन एवं सम्मान समारोह की अध्यक्षता प्रो. विद्योत्तमा मिश्रा पूर्व प्रो. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मुख्य अतिथि प्रो. राम विनय सिंह डी.ए.वी. महाविद्यालय देहरादून, उत्तराखंड विशिष्ट अतिथि साहित्य भूषण मधुकर अष्ठाना नवगीतकार लखनऊ, डॉ. अमिता दुबे प्रधान सम्पादक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ, डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी, वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व महामंत्री राज्यकर्मचारी साहित्य संस्थान लखनऊ, इं. शिवमोहन सिंह वरिष्ठ साहित्यकार, अध्यक्ष उद्गार साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था देहरादून उत्तराखंड, राहुल शिवाय नवगीतकार मंच संचालक तथा रामसखा निषादराज (खण्डकाव्य) की रचयिता डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी संस्कृत साहित्याचार्य वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ मंच पर आसीन रहीं।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों को माला, अंग-वस्त्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया साथ ही कृतिकार का मंचीय अतिथियों द्वारा एवं बेचन शर्मा उग्र की धरती चुनार से पधारे राजीव कुमार ओझा और अनिल मिश्र की तरफ से सरस्वती सुता डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी को साहित्य मनीषा सम्मान, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र भेंट किया गया। सभागार के वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया जिसमें प्रमुख साहित्यकार प्रो. विश्वम्भर शुक्ल, साहित्य भूषण डॉ उमाशंकर शुक्ल शितिकंठ, छंदकार अशोक कुमार पांडेय अशोक, वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र भूषण, साहित्यकार कमलेश मौर्य मृदु, साहित्यकार डॉ. शिव मंगल सिंह मंगल, डॉ शोभनाथ शुक्ल कथाकार व सम्पादक कथा समवेत, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ओंकारनाथ द्विवेदी सम्पादक त्रैमासिक पत्रिका अभिदेशक, साहित्यकार अनिल मिश्र रहे। सभागार में अनेक वरिष्ठ साहित्यकार व गणमान्य जन उपस्थित रहे। संचालन नवगीतकार राहुल शिवाय उपनिदेशक कविता कोष ने किया तथा वरिष्ठ साहित्यकार घनानंद पाण्डेय मेघ ने स्वस्ति वाचन मंगलाचरण एवं युवा गीतकार अर्चना द्विवेदी ने सरस्वती वंदना की । मंचीय अतिथियों नें पुस्तक रामसखा निषादराज (खण्डकाव्य) की समीक्षा करते हुए पुस्तक को एक अभिनव एवं प्रशंसनीय प्रयास बताया। प्रभु श्रीराम के सखा गुह के आदर्श चरित्र के अनछुए पहलुओं को अपनी संवेदनशीलता तथा लोक कल्याणकारी भाव-प्रयास से व्यापकता प्रदान की गयी है जो मौलिक तथा प्रामाणिक है। यह खण्डकाव्य भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्यों और संस्कारों से समाज को अभिसिंचित करने में निश्चित रूप से सनातन धर्महित जनोपयोगी सिद्ध होगी। आयोजक श्वेतवर्णा प्रकाशन के सौजन्य से एवं साहित्यकार सुनील कुमार त्रिपाठी के द्वारा सुनियोजित कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। संयोजक डॉ प्रेमलता त्रिपाठी के पति इं अमरनाथ त्रिपाठी ने पण्डित बेअदब लखनवी, डॉ कुसुम चौधरी, श्रीमती नीतू आनन्द श्रीवास्तव, डॉ प्रेम शंकर शास्त्री, डॉ राम राज भारती, कुंवर आनन्द श्रीवास्तव एवं सभी साहित्यकारों व आयोजन में सम्मिलित सुधीजनों का आभार व्यक्त किया।

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