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शुभ संयोग में देव दिवाली आज, सुख-समृद्धि के लिए होगी पूजा

लखनऊ। कार्तिक मास की पूर्णिमा का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ माना गया है। इस वर्ष बुधवार, 5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु देशभर में पवित्र नदियों विशेषकर गंगा, यमुना और गोदावरी में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया स्नान, दान और दीपदान हजार गुना फल देता है। गंगा तटों पर संध्याकाल में भव्य गंगा आरती और दीपोत्सव का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से भी इस बार की देव दीपावली अत्यंत विशेष मानी जा रही है। 5 नवंबर को भद्रावास योग समेत कई शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं। इन शुभ संयोगों में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को मनोवांछित फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
देव दीपावली के दिन भद्रावास योग का दुर्लभ और शुभ संयोग भी बन रहा है। यह योग सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भद्रा स्वर्ग लोक में रहेंगी, जिसे शास्त्रों में अत्यंत मंगलकारी माना गया है। मान्यता है कि जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में रहती हैं, तो पृथ्वी पर सुख-समृद्धि और शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस योग में भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन से दुख और बाधाएँ दूर होती हैं तथा सौभाग्य और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष देव दीपावली के दिन शिववास योग का अत्यंत मंगलकारी संयोग बन रहा है। यह योग शाम 6 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगा। इस विशेष योग में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
माना जाता है कि शिववास योग में की गई पूजा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। देव दीपावली के दिन बव करण और बालव करण के संयोग बन रहे हैं। बव करण का समय संध्याकाल 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, जिसके बाद बालव करण का आरंभ होगा। ज्योतिष के अनुसार इन दोनों करणों में शिव-शक्ति की उपासना अत्यंत फलदायी होती है। इस समय श्रद्धापूर्वक की गई पूजा से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और साधक को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है

देव दीपावली का मुहूर्त:
इस वर्ष देव दीपावली का पावन पर्व 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की देर रात 10 बजकर 36 मिनट से आरंभ होकर 5 नवंबर की शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार पर्व का मुख्य उत्सव 5 नवंबर को ही मनाया जाएगा। इस दिन गंगा आरती और दीपदान का शुभ समय संध्याकाल 5 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इसी अवधि में श्रद्धालु भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर पुण्य अर्जित करेंगे।

देव दिवाली की पूजा विधि :

पूजा करने से पहले गंगा नदी या किसी पवित्र जल में स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें। घर के मंदिर या आंगन में दीप जलाएं। भगवान शिव और गंगा माता की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, और बेल पत्र अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें। मां गंगा को दीप अर्पित करें और आरती करें। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें। भगवान विष्णु की आरती करें और मंत्र का जाप करें। भगवान शिव, मां गंगा और भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें।

देव दीपावली पर 2.51 लाख दीयों से रोशन होगा गोमती घाट
देव दिवाली पर आज लाखों दीपों से रोशन होगा गोमती किनारे उपवन घाट
लखनऊ। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर काशी में दिवाली मनाने आते है, हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है। राजधानी में सबसे मुख्य व सबसे बड़ा आयोजन मनकामेश्वर उपवन घाट गोमती तट पर किया जात है। इस बार 5 नवम्बर को होगा। सन 2015 से शुरू हुआ आयोजन हर वर्ष भव्यता प्रदान कर र रहा है। मनकामेश्वर मन्दिर की महंत देव्या गिरि के सानिध्य में पुजारी गौरजा गिरि द्वारा सम्पन्न होगा।
महंत ने बतायाकि घाट पर देव दिवाली के दिन लाखों दीपों को प्रज्वलित करने के साथ ही गुरु नानकदेव जी का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। महंत देव्या गिरि की मौजूदगी में काशी की तर्ज पर 11 मंचों से गोमा की महाआरती होगी और 2.51 लाख दीप जलाने की तैयारी है। पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। लोग अपने अपने घरों से गोबर से बने दीपक मन्दिर में जमा करने लगे है। इस बार गाय के गोबर से बने लाखों दीप भी देव दीपावली पर जलेंगे। पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर काशी में दिवाली मनाने आते है, हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी 5 नवंबर को शाम 6:00 बजे देव दिवाली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त दीपक प्रचलित करेंगे। उन्होंने बताया कि धनतेरस और दीपावली में भी श्रद्धालु लोग बड़ी संख्या में मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। इसे लेकर भी मंदिर में साफ सफाई व सजावट के काम शुरू हो गया है। महंत ने लोगों से अपील की है कि दीपावली के दिन हर वर्ष गणेश लक्ष्मी की मूर्ति को खरीदने के बजाय उन्ही पानी मूर्ति को ही इस्तेमाल करना चाहिए। हर साल उन्हें गोमती में या पेड़ के नीचे रख देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हर साल दीपावली का पूजन करने के बाद गणेश लक्ष्मी की मूर्ति को सम्मान पूर्वक मंदिर में रखें और हर साल उन्हीं की पूजा करें। उन्होंने लोगों से घरों से देव दिवाली के लिए दीपक लाने का निवेदन किया है साथ में उन्होंने यह भी कहा है कि जिन लोगों के पास पराने दीपक हो उन्हें साफ धो कर ले आए और यहां पर उनकी रंगाई, पताई करने के बाद उन्हें देव दिवाली में इस्तेमाल किया जाएगा।

छात्र-छात्राओं ने बनायी रंगोली
संस्था नमोस्तुते मां गोमती की ओर से सोमवार से आरम्भ हुए देव दीपावली उत्सव के दूसरे दिन, मंगलवार को मनकामेश्वर उपवन घाट परिसर में रंगोली प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग करते हुए अपनी रचनात्मकता, कलात्मकता और सांस्कृतिक भावना का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
रंग-बिरंगे रंगों से सजी विद्यार्थियों की आकर्षक रंगोलियाँ घाट परिसर को भव्य और मनमोहक बना रही थीं। प्रत्येक रंगोली में स्वच्छता, धार्मिक आस्था, नदी संरक्षण और एकता का संदेश झलकता नजर आया।

गोबर के दीपक का महत्व:
महंत जी ने बताया कि आज का युवा वर्ग गोबर को छूना भी पसंद नहीं करता है, क्योंकि उसे पता ही नहीं है कि इस गोबर से क्या-क्या लाभ होते है। गोबर से बने दीपको को प्रज्ज्वलित करने के पीछे का उद्देश्य गरीबों के बीच एक संदेश भेजने का है कि वे सभी गोबर के माध्यम से भी अपने रोजगार को बढ़ा सकते है।

1100 दीपो से रोशन होंगे घाट

सनातन महासभा द्वारा प्रत्येक पूर्णिमा पर आयोजित होने वाली आदि गंगा मां गोमती महाआरती व सनातन समागम इस बार की कार्तिक पूर्णिमा 5 नवम्बर को होगी। अध्यक्ष डॉ प्रवीण ने बताया कि इस बार देव दीवाली के अवसर पर 1100 दीपो के साथ सात मंचों से हरिद्वार गंगा आरती की तर्ज पर सनातन समागम व मां गोमती महाआरती झूलेलाल वाटिका, गोमती तट शाम 6:30 बजे होगी और गोमती में दीपदान करके नशा मुक्त प्रदेश अभियान का संकल्प लिया जाएगा। महासचिव देवेंद्र शुक्ल ने बताया कि इस अवसर पर गुरुनानक देव की जयंती से कार्यक्रम का आरंभ होगा।

कार्तिक पूर्णिमा आज, स्नान-दान का होगा विशेष महत्व

लखनऊ। हिंदुओं के लिए जिस तरह से कार्तिक माह विशेष है, उसी तरह पूर्णिमा का खास महत्व है। यह धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। यूं तो कुछ भक्त कार्तिक में पूरे माह स्नान करते हैं। कुछ तो गंगा किनारे कल्पवास तक करते हैं, किंतु कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। जीवन की परेशानी दूर हो जाती है। शांति-समृद्धि आती है। इसलिए स्नान के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। स्नान करने के बाद दान करने से समृद्धि आती है।

कार्तिक पू्रणमा पर दान-स्नान का मुहूर्त
इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 52 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है. इस शुभ घड़ी में आप गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान कर सकते हैं. इसके बाद सुबह की पूजा का मुहूर्त सुबह 07.58 बजे से सुबह 09.20 बजे तक रहेगा. जबकि शाम को प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम 05.15 बजे से शाम 07:05 बजे तक रहेगा।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा दान-स्नान और पूजा-पाठ करने से पाप का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान करें। घाट पर गरीबों को दान करें. इस दिन अन्न, वस्त्र, घी, तिल, चावल का दान कर सकते हैं. इस दिन दीप दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। घर में गंगाजल का छिड़काव करें यदि आपने व्रत रखा है तो आप जलाहार और फलाहार ये व्रत रख सकते हैं। व्रत का संकल्प लेकर सुबह के मुहर्ू्त में भगवान गणेश की पूजा करें. फिर शिव-पार्वती की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। इसके बाद विष्णु-लक्ष्मी की विधिवत उपासना करें। घर में सत्यनारायण कथा का पाठ करें, इसके बाद घर के कुछ प्रमुख स्थानों पर दीपक जरूर जलाएं। मुख्य द्वार पर पांच दीपक जलाएं. एक-एक दीपक तुलसी, घर की उत्तर दिशा, भगवान के मंदिर और पानी के नल के पास जरूर जलाएं।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
कार्तिक की पूर्णिमा तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं, अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर घर में ही स्नान करें। कार्तिक की पूर्णिमा तिथि के दिन पूरे विधि विधान से लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन प्रभु को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र चढ़ाना चाहिए। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने और इस दिन लक्ष्मी नारायण की विधिवत पूजा करने से घर में सुख, संपत्ति और खुशहाली बनी रहती है।

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