‘अलबेली दास्तां’ में शेर और भालू ने बच्चों के साथ सीखा शिष्टाचार

संगीत नाटक अकादमी, संत गाडगे आॅडिटोरियम में किया गया मंचन
लखनऊ। किड्डी किंगडम अकादमी ने अपनी 35वीं वर्षगांठ के अवसर पर यायावर रंगमंडल के संयुक्त तत्वावधान में तैयार संगीतमय नाटक अलबेली दास्तां का मंचन संगीत नाटक अकादमी, संत गाडगे आॅडिटोरियम में किया गया। इस नाटक की अवधारणा शिक्षाविद् डॉ. लक्ष्मी कौल की थी। लेखन प्रफुल्ल त्रिपाठी और निर्देशन पुनीत मित्तल द्वारा किया गया।
अलबेली दास्तां की कहानी यह नाटक उन जानवरों की कहानी है जो इंसानों की भाषा, उनके तौर-तरीकों और जीवन मूल्यों को समझने और सीखने की इच्छा रखते हैं। इस खोज में वे ऐसे स्कूल की तलाश करते हैं, जो शिक्षा को केवल किताबों और कक्षाओं तक सीमित न रखते हुए जीवन के हर पहलू को अपनाने की प्रेरणा देता है। जानवरों की यह यात्रा उन्हें एक अनोखे स्कूल तक ले जाती है, जहां शिक्षकों, छात्रों और जानवरों के बीच अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। शेर और भालू बच्चों के साथ बैठकर शिष्टाचार सीखते हैं, तो बच्चे उनसे साहस और लक्ष्य- प्राप्ति के गुण सीखते हैं। बंदर और चिंपैंजी न केवल कबड्डी खेलने की कला सीखते हैं, बल्कि बच्चों को सिखाते हैं कि कैसे मस्ती में भी अनुशासन बना रह सकता है। उल्लू दादा, बत्तख और चिड़िया टीम वर्क, नेतृत्व और सहयोग का महत्व समझते हैं, जबकि हाथी उनसे धैर्य और दूरदृष्टि का पाठ सीखते हैं। यह स्कूल शिक्षा का वह पवित्र स्थान है जहां इंसानों और जानवरों के बीच संवाद, समझ और सीखने की भावना विकसित होती है। यह समाज को शिक्षा के असली महत्व का एहसास कराता है।
नाटक के उद्देश्य और संदेश स्पष्ट है शिक्षा केवल विषयों की जानकारी और व्यक्तिगत कौशल विकसित करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसका वास्तविक उद्देश्य युवाओं को सक्रिय, सहृदय, और दयालु नागरिक बनाना है। नाटक इस बात पर भी सवाल उठाता है कि क्या प्रतिस्पर्धा और व्यक्तिगत उत्कृष्टता को सामूहिक सहयोग और सामाजिक विकास से ऊपर रखना सही है। यह दिखाता है कि हम सभी एक जटिल सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा हैं, जिसे मजबूत और फलदायी बनाने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए। इस नाटक में लगभग 100 बच्चों ने भाग लिया। जिसमें अरुण, दक्ष, सानिध्य, कुणाल, अस्मित, अनामिका, किंजल, अहमद, अर्शद, अमीन, अब्दुल रहमान, अदील, नवनीत, अभय, कैफिया, अनुष्का, सृष्टि, पीयूष, शिवा, अनन्या, और सोबिया ने अपनी शानदार प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। प्रकाश परिकल्पना मोहम्मद हफीज द्वारा किया गया। संगीत रोहित शर्मा, अदिति पंडित द्वारा कंपोज किया गया। कॉस्ट्यूम और प्रॉप्स- के. के. अकादमी के शिक्षकों द्वारा नाटक के अनुरूप तैयार किए गए। मंच व्यवस्था अनूप कुमार सिंह और सुष्ठुत गुप्ता ने संभाली। सहायक निर्देशन: आद्या घोषाल द्वारा किया गया।

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