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एकान्तवास का महत्व

प्राचीन काल में ऋषि, मुनि एवं योगी तपस्वी कष्ट साध्य साधनाओं के लिए एकांत पर्वत गुफाओं गिरि-कंदरओं को चुनते थे। इनका एक प्रमुख कारण यह है कि प्राकृतित: शांत वातावरण में निवास करने से उत्तेजना नष्ट होने वाली शक्ति की बर्बादी रुकती है और उस बचत को उपयोगी प्रयोजनों में लगाकर प्रगति का पथ प्रशस्त किया जा सकता है। इसी प्रकार रात्रि के प्रकृति पदत्त अनुदान अंधकार का लाभ उठाकर थकान मिटाने का ऐसा लाभ प्राप्त किया जा सकता है जिसके सहारे अधिक काम करने की क्षमता अर्जित की जा सके।

योगाभ्यासी अपने व्यक्तित्व को अधिक विकसित करने की साधना करते हैं। भीतर की प्रमुख शक्तियों को जगाने के लएि उनका प्रयोग प्रयास चलता है। इस प्रयोजन के लिए उन्हें ऐसे स्थान में अपना निवास निर्धारित करना पड़ता है जहां अनावश्यक कोलाहल की पहुंच न हो और जहां रात्रि के समय कृत्रिम प्रकाश उत्पन्न न करना पड़े। दिन में सूर्य का और रात्रि में चांद तारों का प्रकाश ही सामान्य और स्वाभाविक निर्वाह के लिए पर्याप्त होना चाहिए।

स्तब्धता और अन्धियारी को विनोद, मनोरंजन में भारी बाधक लगती है और ऐसी ऊब उत्पन्न करती है जिससे बचने के लिए हर किसी का जी करता है। फिर वैज्ञानिक दृष्टि से इनकी उपयोगिता दिन-दिन अधिक स्पष्ट होती जा रही है। विज्ञान के अनुसंधान में हमे इस निष्कर्ष पर पहुंचाते हैं कि यदि शान्त, एकान्त स्थान की अपेक्षा हर दृष्टि से लाभदायक उपलब्धियां ही करतलगत होंगी। इसी प्रकार रात्रि को जितने समय जितने कृत्रिम प्रकाश से बचाया जा सके उतना ही उत्तम है।

निस्तब्धता एक बात है और तमिस्ना दूसरी। दोनों के सम्मिश्रण से तीसरी स्थिति बनती है। जो सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों ही दृष्टि से अपने अद्भुत परिणाम प्रस्तुत करती है। भूमि खोदकर समाधि में बैठने की साधना योगाभ्यासियों के लिए पुरानी है। मोटे तौर से वह कोई कौतुक कौतुहल जैसी जादुई क्रिया प्रक्रिया मालूम पड़ती है पर तथ्यत: उसमें शरीर को उस स्थिति में रखने का अभ्यास है जिसे आंतरिक सव्याप्त भारतीयता के समतुल्स माना जा सकता है।

आयुर्वेदशास्त्र में कायाकल्प चिकित्सा का विधान है। उसमे शरीर के पुनर्गठन की, नवीनीकरण की विधा सम्पन्न की जाती है। कहा जाता है कि इससे वृद्धता दूर होती है और यौवन लौट आता है। इस विधान में भी लंबे समय तक एकान्त और अंधेरे में रहना पड़ता है। औषधि उपचार के अतिरिक्त इस विशेष स्थिति का जो प्रभाव शरीर पर पड़ता है उसका महत्व अधिक माना गया है। तपस्वियों के एकान्त सेवन गुफा निवास की बात तो सर्वविदित ही है।

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