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संस्कारों का महत्व

वैदिक क्रियाओं, संस्कारों का एक निश्चित विधि विधान होता है और इससे सम्यक लाभ तभी मिलता है जब वैदिक प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया जाये। गृहस्थ जीवनयापन करते हुए कोई भी आसानी से कर सकता है। मन मर्जी से बिना विधि विधान के करने पर उनका अभीष्ट लाभ नहीं मिलता है किन्तु यदि सही मार्गदर्शन उपलब्ध हो जाये तो उनसे बड़ा लाभ होता है।

भौतिक जीवन की अनेक समस्याएं सुलझती हैं और पारलौकिक आध्यात्मिक जीवन की सुख शांति का द्वार खुलना आरम्भ हो जाता है। संन्यासी और विरक्तों के लिए योगाभ्यास की कुछ विशेष साधनाएं भी हैं पर साधना शास्त्र का अधिकांश भाग गृहस्थ नर-नारियों के लिए ही है। जिस प्रकार जीविका उपार्जन, गुरु व्यवस्था, शरीर रक्षा आदि कार्यों के लिए नियमित समय लगाया जाता है उसी प्रकार यदि एक दो घंटे भी साधना कार्य के लिए दृढ़ निश्चय के साथ नियत कर लिये जायें तो उतने में ही बहुत प्रगति हो सकती है।

आत्मिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और आत्मबल की अभिवृद्धि साधना पर ही निर्भ है। जिन्हें शरीर की तुलना में आत्मा का महत्व कम प्रतीत नहीं होता जो क्षणिक भौतिक लाभों की तुलना में अनन्त काल तक स्थिर रहने वले आत्मिक लाभों को तुच्छ नहीं मानते उन्हें यह भी जानना चाहिए कि शरीर सुख और धन उपार्जन की तुलना में साधना कार्य में लगा हुआ समय किसी भी प्रकार कम उपयोगी, कम लाभदायक नहीं है।

प्राचीन काल में प्रत्येक नर-नारी की, बालवृद्ध दिनचर्या में साधना के लिए अनिवार्य रूप से स्थान रहता था। फल स्वरूप उन्हें आत्म निर्माण का महान लाभ प्राप्त होता था और उसके फलस्वरूप भौतिक उन्नति एवं सुविधाओं का द्वार सहज की प्रशस्त रहता था। वे लोक-परलोक दोनों को ही सफल बनाये हुए मानव जीवन के अलभ्य अवसर का पूरा सत्यपरिणाम कर लेते थे।

आज साधना पथ का परित्याग करके हम आध्यात्मिक उन्नति से वंचित हो रहे हैं। साथ ही आन्तरिक दुर्बलताओं के कारण भौतिक जीवन की कठिनाइयां और असफलताएं भी बढ़ती जाती हैं। उच्च आध्यात्मिक स्तर की साधनाएं करने के लिए घर छोड़कर किन्ही पवित्र वातावरण के स्थनों में रहने की आवश्यकता हो सकती है।

जीवन के अंतिम भाग में वानप्रस्थ जैसा विरक्त जीवन भी इस दृष्टि से उपयोगी हो सकता है पर साधारण साधना के लिए घर या व्यवसाय छोड़ने की कुछ भी आवश्यकता नहीं है। गृहस्थ योग अपने आप में एक र्स्वांग पूर्ण योग है। उसे साधनात्मक दृष्टि से ग्रहण किया जाये तो पूर्णता प्राप्ति के लिए वह भी एक सर्वांग सुंदर साधन हो सकता है।

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