नाटक ‘मरने के शॉर्टकट’ का मंचन
लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से भारतोदय द्वारा महावीर सभागार, श्री महावीर प्रसाद महिला महाविद्द्यालय, राजाजीपुरम, लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह में दूसरे दिन रंगमंडल विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर, लखनऊ के कलाकारों ने नाटक ‘मरने के शॉर्टकट’ का मंचन किया गया। नाटक का लेखन डॉ. कुमार संजय एवं निर्देशन चंद्रभाष सिंह के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ आनन्द कुमार दीक्षित, प्रधानाचार्य, विवेकानन्द इंस्टीटूट आॅफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी इटावा ने नाटक की खूब सराहना की। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि, क्या मुसीबतों से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका आत्महत्या है? क्या आत्महत्या करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं? नहीं आत्महत्या कोई समाधान नहीं बल्कि मानव जीवन की सबसे बड़ी भूल होती है जिसे फिर मनुष्य चाहकर भी कभी नहीं सुधार सकता। नाटक अलग-अलग तरीकों से आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों के दर्द को बयां करता है। यह सच है कि कोई खुशी खुशी आत्महत्या नहीं करता परंतु परेशानियों से छुटकारा पाने का आखिरी रास्ता भी आत्महत्या नहीं। नाटक के सभी पात्र भूत के रूप में थे जोकि आत्महत्या करके ही भूत योनि में प्रवेश किए हैं और सभी मिलकर आत्महत्या के शॉर्टकट यानी जो इंस्टेंट हो, पेनलेस हो और गारंटेड हो दर्शकों को बताने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जिसमें सभी भूत अपने-अपने अनुभव बताते हैं कि उन्होंने किन परिस्थितियों में किस तरह से आत्महत्या की, और पश्चाताप भी करते हैं। घबरा के कहते हैं कि मर जाएंगे, मर कर भी चैन न मिला तो किधर जाएंगे। नाटक में जूही कुमारी, अनामिका रावत, दीवा भारती, उज्ज्वल सिंह, मुकुल चौहान, कोमल प्रजापति, सुन्दरम मिश्रा, अभय प्रताप सिंह, प्रिया बाजपेई, आर्यन साहू, अतुल यादव, अनूप कुमार जयसवाल , राहुल सिंह,कुष्ण कुमार पाण्डेय, चंद्रभाष सिंह आदि कलाकरों ने जीवंत अभिनय किया। नाटक के विषय और कलाकरों के अभिनय की सभी दर्शकों ने सराहना की।