लखनऊ। ईयरफोन लगाकर मोबाइल पर देर तक बातें करना, गाना सुनना या काम करना आजकल आम हो गया है। विशेषज्ञों की मानें तो छोटा सा दिखने वाला ईयरफोन इस लेवल तक का शोर पैदा कर सकता है कि लोग बहरे भी हो सकते हैं।
ईएनटी विशेषज्ञ डा. एस.सी.श्रीवास्तव ने बताया सुनने की समस्या पहले या तो जन्मजात होती थी या फिर जो लोग तेज धमाकों या तेज आवाज के साथ काम करते थे उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था लेकिन इन दिनों बहरेपन की समस्या युवाओं और बच्चों में यह अधिक देखी जा रही है।
डॉक्टरों का मानना है कि 15 मिनट तक भी लाउड म्यूजिक सुनने पर बहरा होने का खतरा पैदा हो सकता है। 120 डेसिबल लेवल का साउंड प्रोड्यूस करने वाले ईयरफोन को अगर आप 15 मिनट तक भी सुनते हैं तो आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि अब ज्यादा केस ऐसे आ रहे हैं जिसमें लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने वालों में कानों में दर्द और दूसरी परेशानियां शुरु हो जाती हैं।
इतना ही नहीं कई लोगों की धीरे-धीरे सुनने की क्षमता भी कम हो रही है। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई शुरु होने की वजह से बच्चों को भी कान से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं। बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के लिए ईयरफोन का इस्तेमाल करना पड़ रहा हैं ऐसे में कानों में दर्द, परेशानी और संक्रमण की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर घर में बच्चे हैं तो उन्हें हेडफोन का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए। वहीं छात्र लैपटॉप या कंप्यूटर पर ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो इनकी आवाज ही काफी होती है।
डा. श्रीवास्तव का कहना है कि अगर लोगों ने ईयर फोन का प्रयोग कम नहीं किया तो कानों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। कान में ईयर वैक्स की वजह से कीटाणु प्राकृतिक रुप से मरते हैं, ये वैक्स हमारे कानों को संक्रमण से बचाती है। कई बार हेडफोन लगाने से कान में खुजली होने लगती है जिसके लिए हम ईअरबड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इससे कान में मौजूद वैक्स हट जाता है और कान के आंतरिक हिस्से को कीटाणुओं के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी हो सकती हैं दिक्कतें
- टिनिटस यानि कान में हमेशा एक तरह की घंटी बजने की आवाज सुनाई देना।
- घंटों कान में ईयरफोन लगाने का दुष्परिणाम अनिद्रा भी है।
- नर्व सैल भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
- कानों में दर्द रहना।
- ज्यादा थका हुआ महसूस करना।
- दिल का दौरा पड़ने का खतरा
- हार्मोन इंबैलेंस की समस्या भी हो सकती है।
प्रत्येक 12 लोगों में से एक को सुनने की समस्या
इंडियन मेडिकल रिसर्च के शोध के मुताबिक प्रत्येक 12 लोगों में से एक भारतीय सुनने की समस्या से पीड़ित है। इसके अलावा नेशनल एकेडमी आॅफ साइंस के शोध के अनुसार कान से दिमाग तक इलेक्ट्रिक सिग्नल पहुंचाने वाले नर्व सैल पर मेलिन शीट नाम की कोटिंग होती है। यह इलेक्ट्रिक सिग्नल को सैल के साथ आगे बढ़ने में मदद करती है। अगर 110 डेसिबल लेवल से ज्यादा का साउंड सुनते हैं, तो इससे मेलिन शीट फट सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक सिग्नल का फ्लो प्रभावित होने का खतरा बन जाता है। इसका मतलब यह हुआ है कि नर्व सैल कान से दिमाग तक सिग्नल पहुंचाने में अक्षम हो जाते हैं।