‘धरोहर’ चित्रकला प्रदर्शनी में दिखी मानवीय संवेदनाएं

राज्य ललित कला अकादमी में चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन
लखनऊ। डॉ. जगदीश गुप्त के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर धरोहर चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन राज्य ललित कला अकादमी में उत्तर प्रदेश की कला विथिका में किया गया। 5 जुलाई, 1924 शाहाबाद जिला हरदोई में जन्मे डॉ॰जगदीश गुप्त साहित्यकार एवं संस्कृत के विद्वान होने के साथ साथ कुशल चित्रकार भी थे। डॉ जगदीश ने गुजराती और ब्रजभाषा में कृष्ण काव्य का तुलनात्मक अध्ययन भारतीय भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन की दिशा में शोध किया। डॉ जगदीश 1950 से हिंदी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य एवं कई वर्ष तक विभागाध्यक्ष रहकर वर्ष 1987 में अवकाश प्राप्त किया। उसके पश्चात विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उच्च शोध की विशेष योजना के अंतर्गत कार्यरत रहे। डॉ. जगदीश जी को कई सम्मान प्राप्त हुए जिनमें भारत भारती सम्मान 1998 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एवं मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी ने प्रदान किया और राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त, श्रीधर पाठक सम्मान से सम्मानित किया गया।
कला के लिए प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला पुस्तक के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान एवं साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा पुरस्कृत किया गया। पंडित श्रीनारायण चतुवेर्दी सम्मान, नगर निगम इलाहाबाद द्वारा तुलसी सम्मान, महामहिम राज्यपाल गुजरात द्वारा, 1998 में निराला स्मृति सम्मान, मानद उपाधि प्रात: डॉ. जगदीश ने कई चित्रों की रचना की। डॉ. जगदीश जब भी किसी यात्रा के में निकलते यात्रा के दौरान मिलने वाले स्थान पशु पक्षी व्यक्ति विशेष स्थान के रेखांकन करते रहते। इनके रेखांकन में मानवीय संवेदनाएं झलकती हैं। एक सशक्त रेखांकन जिसमें चित्र की संपूर्णता देखने को मिलती है। उनके बनाए हुए चित्रों को धरोहर की तरह उनके परिवार के लोगों ने सहेज कर रखा है जिसकी एकल प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रोफेसर जय कृष्ण अग्रवाल पूर्व प्राचार्य कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ ने किया । श्री अग्रवाल ने डॉ जगदीश गुप्त जी की कला यात्रा पर प्रकाश डालते हुए खूब प्रशंसा की और कहा कि उनके जीवन और चित्रों लिखने की आवश्यकता है । यह प्रदर्शनी छह अगस्त तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। इस अवसर पर अकादमी की निदेशक डॉ श्रद्धा शुक्ला जी सहित सह संयोजक रंजन कुमार सिंह एवं संयोजिका श्रीमती गीता गुप्ता गुप्ता, राकेश मौर्य, प्रदीप सिंह , विनोद सिंह, धीरेन्द्र प्रताप, प्रमुख कलाकार और सैकड़ो कला प्रेमी उपस्थित रहे।

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