कैसे खेले जईबु सावन में कजरिया बदरिया घिर आई ननदी…

नृत्यांजलि फाउंडेशन के तीन वर्ष पूर्ण होने पर कजरी लोकनृत्य की भव्य प्रस्तुति

लखनऊ। नृत्यांजलि फाउंडेशन के तीन सफल वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर, लखनऊ में उत्तर प्रदेश की समृद्ध लोक परंपरा ‘कजरी को समर्पित दस दिवसीय नि:शुल्क कार्यशाला के समापन पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कजरी लोकगीतों पर आधारित लोकनृत्य प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र रहीं, जिनमें हमारी लोकसंस्कृति की गहराइयों को सजीव किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें शहर की कई प्रतिष्ठित विभूतियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम की शुरूआत पर्णिका श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत शिव-पार्वती पर आधारित भावनात्मक नृत्य से हुई। इसके पश्चात श्वेता गुप्ता, जया सिंह, वरदा मल्होत्रा, प्रिया कश्यप, स्वरा त्रिपाठी, पर्णिका श्रीवास्तव, समीक्षा सिंह, दिव्यांशी पाठक एवं मान्या यादव द्वारा सावन के लोकप्रिय कजरी गीतों पर एक से बढ़कर एक नृत्य प्रस्तुतियाँ दी गई जिसमें कैसे खेले जईबु सावन में कजारिया बदरिया घिर आई ननदी, आई झूम झूम सावनी बहार, काहे करेलू गुमान गोरी सावन में, सावन महीना मेरा जिया जले, झूला पीपल पर डलवाई दिहो इन सभी नृत्य प्रस्तुतियों का निर्देशन पर्णिका श्रीवास्तव ने किया ।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन प्रसिद्ध हास्य कवि आदरणीय सौरभ जायसवाल जी ने अपने अनोखे अंदाज में किया, जिससे कार्यक्रम में हास्य और जीवंतता की सरिता प्रवाहित होती रही। अंत में नृत्यांजलि फाउंडेशन की निदेशक रागिनी श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, दर्शकों और सहयोगियों का हृदय से आभार प्रकट किया।

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