लखनऊ। होली हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का पर्व भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। 2025 में रंग वाली होली का पर्व 14 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। लेकिन इसके एक दिन पहले 13 मार्च को गरुवार के दिन होलिका दहन किया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। होली के उत्सव के साथ-साथ होलिका की अग्नि में सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश किया जाता है।
होली का धार्मिक महत्व
होली का पर्व रंगों का त्योहार तो होता ही है। लेकिन यह अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक भी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भक्त प्रह्लाद को मारने की कोशिश की गई थी। लेकिन भक्त प्रहलाद भगवान के अनन्य भक्तों में से एक थे तो वह अग्नी में नहीं जले और होलिक जलकर भस्म हो गई। यह घटना बुराई पर अच्छाई की जीत को दशार्ती है।दूसरे दिन रंगों की होली मनाई जाती है, जिसे धुलंडी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग लगाकर बधाई देते हैं। रंगों से खेलना न केवल आपसी प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में नफरत को मिटाने और भाईचारे को बढ़ाने का संदेश भी देता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त 13 मार्च, रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा।
होली का इतिहास और महत्व:
मान्यताओं के अनुसार होलिका राजा हिरण्यकश्यप की राक्षसी बहन थी। हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, जो हिरण्यकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं था, इसलिए उसने उसे मारने के लिए होलिका की गोद में बिठा दिया, लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जिसे आग में न जलने का वरदान था, वो आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के आगमन का प्रतीक है, जो सर्दियों की नीरसता पर रंगों की विजय का प्रतीक है।
होलिका दहन के दिन पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाकर एक थाली में रखें। इसके साथ रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और एक कलश भरकर रखें। फिर भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज और फूल अर्पित करें। इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें। अंत में गुलाल डालकर जल चढ़ाएं।
होलिका दहन के लिए युवा लकड़ी अन्य सामान कर रहे इकट्ठा
होली का पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा। इसे लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है। होलिका दहन को लेकर अभी से बच्चे व युवा जुटे हुए हैं। आसपास के स्थानों से लकड़ियां व अनुपयोगी के सामानों को इकट्ठा करके एक ही स्थान पर रख रहे हैं। होलिका दहन के दिन इन सभी का दहन किया जाएगा। वसंत पंचमी के दिन अंडा पेड़ को गड़ाकर होलिका दहन के लिए लकड़ियां, अनुपयोगी सामान इकट्ठा करना शुरू हो जाता है, जो कि माहभर जारी रहता है। होलिका की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद होलिका दहन किया जाता है। लखनऊ में कई स्थानों पर बच्चों और युवाओं की टोलियों को होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करते हुए देखा जा सकता है। इसी तरह शहर की कुछ दुकानों में रंग-गुलाल की भी बिक्री हो रही है। थोक विक्रताओ से फुटकर विक्रेता अभी से सामान की खरीदी कर रहे हैं।
ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में जलाई जाती है होली:
पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि होली का पर्व रंगों का पर्व है। यह हमें आपसी प्रेम, भाईचारा की सीख देता है। ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रहलाद का अर्थ आनंद होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रहलाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है। रंगों के त्योहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।
सौहार्द का संदेश देता है होला का पर्व
सनातन धर्म में होली का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक अद्भुत उदाहरण है। इस दिन पूरे भारतवासी एकजुट होकर प्रेम और सौहार्द का संदेश देते हैं। यह पर्व एक-दूसरे के प्रति प्रेम-भाव को दशार्ने का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही यह धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं को भी प्रकट करता है।
होली पर लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, सूतक काल मान्य नहीं

लखनऊ। होली पर इस साल चंद्रग्रहण लग रहा है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और इस साल फाल्गुन पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है। फाल्गुन पूर्णिमा की रात को ग्रहण लगता है और अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा और अगले दिन सुबह 14 मार्च को होली खेली जाएगी। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल चल रहा है कि क्या इस बार ग्रहण के बीच में होली खेली जाएगी। आइए आपको बताते हैं इस बार होली की तिथि कब से कब तक है और ग्रहण कब से कब तक रहेगा।
चंद्र ग्रहण कब से कब तक है
इस साल का पहला चंद्र ग्रहण होली के दिन, 14 मार्च को दिखेगा। यह सुबह 9 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 3 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा। ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। 14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। हालांकि इस ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होने की वजह से यहां पर ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए यहां ग्रहण को लेकर नियम नहीं मान्य होगा।
तीन राशियों पर रहेगा असर
ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के समय चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेंगे। वहीं कन्या राशि में पहले से ही केतु विराजमान है, जिससे दोनों ग्रहों की युति होगी। माना जा रहा है दो ग्रहों की इस युति से ग्रहण योग बन रहा है, जिससे कुछ राशियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसे में इन जातकों को सभी क्षेत्रों में सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगी। आइए इन राशियों के नाम जानते हैं।
मिथुन राशि
यह समय मिथुन राशि वालों के लिए मुश्किलों भरा हो सकता है। आपको कार्यों को पूरा करने में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। नौकरीपेशा जातकों को कार्यस्थल पर सहयोगियों के साथ तनाव का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान अपने खानपान की आदतों में थोड़ा बदलाव करें, अन्यथा स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। निवेश में मनचाहा लाभ न मिलने पर मन परेशान रहेगा। विदेश से संबंधित मामलों में भी कठिनाइयां आ सकती हैं। संतान से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कोई पुराना विवाद परेशान करेगा।
सिंह राशि
ज्योतिष गणना के अनुसार सिंह राशि वालों को वैवाहिक जीवन में समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। कुछ मौसमी बीमारी आपको अपनी चपेट में भी ले सकती हैं। आपको किसी लिए गए निर्णय के लिए पछतावा हो सकता है। स्वास्थ्य में गिरावट आने की संभावना है। पारिवारिक माहौल भी तनावपूर्ण रहेगा। कारोबारी यात्राओं के चक्कर में अच्छा-खासा धन खर्च हो सकता है। आत्मविश्वास में कमी महसूस होगी। लव लाइफ में तनाव बना रहेगा। यदि किसी नौकरी को पाने के लिए प्रयास कर रहे थे, तो अभी और मेहनत करनी होगी। कोर्ट का मामला लंबा चल सकता है।
तुला राशि
ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के प्रभाव से तुला राशि वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बिजनेस में धन हानि होने से मन परेशान हो सकता है। नौकरीपेशा लोग कार्यक्षेत्र में समस्याएं झेल सकते हैं। घर-परिवार वालों का सहयोग न मिलने से कार्यों को पूरा करने में दिक्कतें आएगी। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी। खर्चो की अधिकता होने के कारण आर्थिक समस्या होगी। संतान की ओर से कुछ समस्या सुनने को मिल सकती है। माताजी किसी बात को लेकर नाराज होंगी। व्यापार में कर्मचारियों के कारण समस्याएं और परेशानियां आ सकती हैं। सरकारी क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।