नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उच्चसभा में दोपहर 12 बजे नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया। राज्यसभा में इस पर करीब 8 घंटे तक बिल पर बहस चली। चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जवाब सदन के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसके बाद राज्यसभा में यह ऐतिहासिक बिल पास हो गया। विधेयक के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े। वोटिंग में कुल 230 वोट पड़े थे।
वहीं, शिवसेना ने वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला लिया। निचले सदन में विधेयक पर 14 घंटे तक बहस के बाद रात 12.04 बजे वोटिंग हुई थी। बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े थे। अब नागरिकता विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। अब राष्ट्रपति के विधेयक पर हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
दरअसल राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं। लेकिन फिलहाल पांच सीटें रिक्त हैं। जिसके चलते राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 240 है। लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वजह से 5 सांसद फिलहाल सनद की कार्यवाही से अनुपस्थित हैं। ऐसे में सदन के सदस्यों की कुल संख्या घट कर सिर्फ 235 रह गई। लेकिन वोटिंग में कुल 230 वोट ही पड़े जिस वजह से बिल आसानी से पारित हो गया।
बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करने के बाद कहा कि इस सदन के सामने एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं, इस बिल के जो प्रावधान हैं उससे लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था। जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में आए, उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली। पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं. इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियातत मिलेगी।